इन त सैरा गढ़वाल मा मंदिर ही मंदिर छन पर वूमा से भी कुछ इन छन जौंकी जात्रा हर गढ़वली कम से कम एक बार जरूर कन्न चांदू । यूमा से ही एक च सेम-मुखेम कु नागरजा मंदिर। गढ़वाल मा पैदा अर ज्वान हुयूं हर गढ़वली नागदेवता का बारा मा जरूर जणदू, किलै कि लगभग हर गौं मा नागरजा अर नरसिंगा मंदिर रांदा ही छन। हिन्दू धरम की कहानियूं का हिसाब से नागवंशै उत्पत्ति, कश्यप ऋषि अर दक्ष प्रजापति की बेटी कद्रू की सन्तानो का रूप मा व्हे अर गढ़वाला एक भौत बड़ा हिस्सा मा भौत टैम नागवंशिंयून राज पाठ भी करी। गढ़वाल मा युंका मुख्य क्षेत्र मा हरिद्वार- ऋषिकेश कू इलकू, भागीरथी अर अलकनंदा घाटी रैनी। अलकनंदा घाटी म नागपुर अर उर्गम युंकू मुख्य क्षेत्र छौ। पर धीरे धीरे समय का साथ साथ जब दुसरी जातियूंन ज्यादा क्षेत्र मा अधिकार करि और नागवंशियूं तै लगभग समाप्त करदे त बच्यां खुच्यां नागवंशी भी दुसरी जातियूं मा मिल गैनी।
नागरजा मंदिर सेम मुखेम, फोटो जून २०१३
नागरजा मा आज भी गढ़वाली जनमानस कू इदग़ा विश्वाश च कि आज भी हर गौं मा एक नागरजा कू मंदिर मिल जांदू, अर क्वी भी विपत्ति होंण पर वु नागरजा कू उच्येणु रख दू कि हे नागरजा मेरु यु दुःख ख़तम व्हे जलु त मि तेरी जात्रा मा औलू। येका अलावा गढ़वाली मा नागदोष तै मन्नै की परंपरा च। अगर हौळ लगान्दी दा नस्युड़ न सांप चिरै जाव, जैतै शवचिरु बोल दन, त यु नागरजा कू सबसे बडु दोष मने जांदू अर ये दोष तै सेम मुखेम जैकी वुख पूजा करि की ख़तम करे जांदू।
नागरजा मंदिर सेम मुखेम, फोटो जून २०१३
गढ़वाली जागरों से पता चल्दु कि सेम मंदिर तै रमोला गढ़ का गढ़पति गंगू रमोला न बणै। गंगू रमोला एक वीर भड़ छौ जैका किस्सा गढ़वालै लोक गाथाओं मा खूब सुणे जान्दन। गंगू कु जीवन शन १३२५ से १४२५ तक मने जांदू । कथाओं से पता चल्दु की एक बार श्री कृष्ण ये इलाका मा ऐनी अर या जगा वूंतैं इदग़ा पसंद आई की वून गंगू बटी ढाई गज़ जमीन मांगी, पर गंगू न बोली कि मिन ढाई इंच जंगा भी नी देण। वेका बाद गंगू रमोला मा विपत्तियुं कु इन पहाड़ टूटी कि वेका पूरा क्षेत्र मा अकाल पोड गी, वेकी सैरी संपत्ति ख़तम व्हेगी, कोठार खाली व्हे गैनी, तब वेकी ब्वारिन वेतै सही रास्ता मा चलणु तै बोली । इन भी बोले जांदू की नागवंशी गंगु का जुल्मों से जब ये क्षेत्र की सैरी जनता त्रस्त व्हे गी तब भगवान श्री कृष्णन वेका जुल्मों से सब तै मुक्ति दिलै । जैका बाद इख श्री कृष्ण तै नागराजा रूप मा पूजै जाण लगी।इतिहासकारों की येमा कुछ अलग राय च किलै कि श्री कृष्ण कु टैम पांच हज़ार साल पैली कु च जबकि गंगू रमोला कु सात सौ साल पैली । डा रणवीर सिंह चौहान वे समय का द्वाराहाट नरेश तै ही यूँ कहानियूं कु द्वारका नरेश मनदन, जैन गंगू दगडी लड़ै करी, वेकु सैरु राज्य छीनी तै वेतै भोट क्षेत्र की सीमा मा भेजी, बारा साल तक वेकी सेवा से खुश होण पर वेतै वेकु क्षेत्र वापस करी, वापस औण मा अपणी ब्वारी का बोन्न पर वेन सेम मुखेम मा नागराजा का मंदिर बणवैनी । जैमा प्रकटा सेम मुख्य च, जैतै आज नागतीर्थ मने जांदू अर जैका दर्शनों तै सैरा गढवाले जनता जांदी ।
नागरजा मंदिर सेम मुखेम, फोटो जून २०१३
हर तीसरा साल ग्यारा गति मंगसीरौ तै इख मेळु लगदु जैमा ये पूरा क्षेत्र का लोग दस तारीखो तै पौंछदन अर रातो तै मंदिर से आधा किमी मत्थी बुग्याल मा रात भर मंडाण लगै की नागराजा का जागर गै की जागरण करदन । फिर दूसरा दिन सुबेर पूजा करी प्रसाद लेकी वापस लौट जान्दन ।सेम मुखेमै जात्रा मा आप कभी भी ऐ सकदन किलै कि इख पौछ्णु अब भौत सौंगु च । इख आप लोग नई टेहरी बटी लंबगॉंव व्हेकि या फिर उत्तरकाशी बटी चौरंगीखाल व्हे की पौंछ सकदां । नई टेहरी बटी लंबगॉंव लगभग छियासी किमी च, फिर लंबगॉंव बटी उत्तरकाशी वोला रास्ता मा दस किमी पर पोडदु कोडार, जख बटी मुखेम व्हे की सड़क पौंछदी २३ किमी दूर मणबागी तक | उत्तरकाशी बटी चौरंगीखाल व्हे की कोडार की दूरी च ५० किमी | मणबागी बटी सेम मंदिर च ढाई किमी, बाठु पैदलो, चढ़ै वोलु अर घैणा जंगला बीचौ च।
गढवाला दूसरा तीर्थों की तरों इख पौंछी तै भी एक दिव्य एहसास जरूर होन्दु । तीर्थ यात्री से अलग यु पूरु क्षेत्र एक संस्कृति, प्रकृति और इतिहास प्रेमीयूं कु तै भी स्वर्ग से कम नीच, इलै अगर आप अभी तक ईं जात्रा से वंचित छां त अब हौर देर नी करा और गढवाला ये नागतीर्थ की जात्रा जल्दी से करा ।
सेम मुखेम क्षेत्र कु जीवन अर रैण-सैण, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम क्षेत्र कु जीवन अर रैण-सैण, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम क्षेत्र कु जीवन अर रैण-सैण, फोटो जून २०१३
मणबागी, जख बटी सेम मुखेमै पैदल यात्रा सुरु होंदी, फोटो जून २०१३
पैदल बाठा बटी सेम मुखेम मंदिरा दर्शन, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम मंदिरा दर्शन करी लौटदा यात्री, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम मंदिरा दर्शनों तै जांदां यात्री, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम मंदिरा दर्शनों तै जांदां एक पारिवारिक यादगार, फोटो जून २०१३
नागरजा मंदिर सेम मुखेम, फोटो जून २०१३
मणबागी, जख बटी सेम मुखेमै पैदल यात्रा सुरु होंदी, फोटो जून २०१३
मुखेम गंगू रमोला कु गौं, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम क्षेत्र कु जीवन अर रैण-सैण, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम क्षेत्र कु जीवन अर रैण-सैण, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम क्षेत्र कु जीवन अर रैण-सैण, फोटो जून २०१३
सेम मुखेम क्षेत्र कु जीवन अर रैण-सैण, फोटो जून २०१३
0 Comments