२१ फरवरी २०२०, सिबरात्र्यु दिन छौ। सुबेरै ४ बजणी छै जबारि मोबैला इलारम न मेरि निन्द बिराड़ी। सुबेर ५ बजी हरिद्वार जैकी गंगास्नान करणै सोंचीं छै हमारि, पर उण्दा मा हि सर्गै इन किटकतलि सुणेनी कि मुन्ड बटी कम्ब्ला हटाणौ बि ज्यु नि बोलि। फेर घड़ेक म अचणचक फोनै घण्टी बजी, अर प्रमोदै बाच सुणै कि, लोका मैक्स होस्पिटलम वेन्टीलेटर मा च, अर जिन्दगी कि आखिरी सांस लेणु च, इन लगि जन सुप्न्यु रै होलु, पर उठी तै भैर ऐकी बैठ ग्युं। अबि सवा छै ही होणी छै, फेर सतीसौ तै फोन मिलै, त वेकि रोण्या बाच न ईं बात तै पक्कू कर दे, अर पतानि इन किलै लगण लगि कि अब सैद लोकै बाच मिन कबि नि सूण सकण।
रूड़की बटी देरादूणा सैरा बाठा म लोकै मुखड़ी हि रिंग्णी रै ये मन म, अर वे दग्ड़ी कट्याँ सुख दुखा सब्बि दिन याद आणा रैनी। अबि मैतै होस्पिटलम पौंच्याँ १ घण्टा बि नि व्हे छौ कि खबर आई कि लोका नी रै। उबारि सबसे पैली मैतै मां कि सकल याद ऐ, अर यु सोचणु छौ कि कै मुखन जौलु वींका समणी। पर पैली त वेका सरील तै सिन्नगर लिजाण छौ । वे दिन यु बि मिन पैली बार मैसूस करी कि प्राण जांदू हि हम मनखी कू नौ नी लेन्दां, येकू तै केवल सरील ही बोळ्दां।
लोका त दगड़्यों कु दगड़्या छौ, इलै वेका दगड़्यों कि लंग्त्यार बि उदगा हि लम्बि छै। मि जख बि वे दगड़ी ग्युं हर गौं या सैर म वेका दगड़्या मिल जान्दा छा, अर सेण-खाणौ जुगाड़ बि कर देन्दा छा । अर क्वी पछणाकौ नि मिल्दु छौ त थ्व्ड़ा सी देरम, वेकू क्वि न क्वि दगड़्या बणी, वे दगड़ी ऐ जान्दू छौ, अर दगड़्या बि इनू जन बर्सूं की पछाण हो। उबारि ई उबारि, ३५-४० लोग कठ्ठा व्हे गैनि अर अम्बुलैन्सो इन्त्जाम करी सब्बि सिन्नगरा बाठा लग गैनी।
मैतै याद ऐ वेकी वा छ्व्टी सी हैंसदी मुखड़ी, जबारि मिन वेतै पैली बार देखि छौ, दसम छौ वे साल वु। सतीसौ घौर कोलेजा नजीक छौ, इलै जादातर स्यामौ कल्यो मेरु बि उक्खी होन्दु छौ। कल्यो खान्द खान्द हम जगजीत या ग़ुलाम अली, गज़ल सुण्णा रान्दा छा त वु बिस्तर म बैठी बस खुट्टी हिलाणु रान्दु छौ, बच्यान्दू भौत कम छौ वु, बस कुछ बोला त हैंसणु रान्दु छौ। एक दिन स्यामौ त मि वूंका घौर पौंच्यू त सब परेसान छा, दसम दुसरा साल बि फील व्हे गै छौ वू। त सतीस न ललित पंत भैजी दगड़ी बात करि वेतै विडियो रिकोर्डिंगा काम म लगै दे। वेन बि अफु तै वेमा इन रमै कि कैमरा हि वेकि पछाण बण गी। वेका ३ साल बाद हम दुयुन पौड़ी छौड़ दे त हमारु मिन्नु बि कम व्हे गी । फेर ६-७ सालूं तक वेन खूब मीनत करि, अर रुप्या बि खूब कमैनी, पर वेतै रुप्या जमा कन्नौ सौक कबि नि रै। बस जुत्तों अर कपड़ौं कु सौक छौ वेतै।
इन बि नि रै कि वेन यु सालूं मा केवल रुप्या हि कमैनी, पैली वेन प्रावेट दस फेर बारा पास करी, अर फेर कोलेज बटी बीए पास करी। पर अप्ड़ा काम बटी कबि संतुष्ट नि व्हे वु, अर सदानि हौर अच्छु ढ़ुडणु रै। यै हौर बिन्डी अर अच्छु सीखणै बिमारि मा वेन सिन्नगर तै छोड़ी, दिल्ल्यू बाठु पकड़ी । डेढ़-एक साल, दिल्ली म वेन सुधीर नौटियाळ दगड़ी स्टुडियो मा ऐडिटिंगौ काम त खूब सीखी पर बिना पैसा का, इलै खैरी बि खूब खैनी। पर कैतै कबि यु पता नि लगण दे कि वु खैरी म च। मि बि उबरी गुड़गौं म छौ त मैना म एक-द्वी बार त मिल हि जान्दा छा। एक दिन वु गुड़गौं ऐ, अर बोली भैजी यार आज दारू पेणौ ज्यु बोन्नु च! वे दिना, वेका वु सब्द मेरा कानूं बटी कबि नी जंदन "भैजी अब मिन ईं दिल्ली कबि नी आण, मी जब बटी कमाण ल्ग्यूं मिन कबि फट्यां जुत्ता नी पैन्नी, पर ईं दिल्ली न पैरै येनी"। वेका बाद वु सिन्नगर वापस ऐ, मास कम्युनिकेसन बटी पीजी करी अर कै बर्सूं तक युनिवर्सिटी मा संविदा मा मास कम्युनिकेसन पढ़ै, अर फेर पीएचडी बि करी। वेका पढ़ायां कै नौना-नौनी आज प्रिन्ट अर इलैक्ट्रोनिक मीडिया म छन। पर वेतै रास ऐनी, त बस हमारा पाड़ै डांडी-काँठी अर हमारि संस्कृति, जखा हर तीर्थ स्थान अर मेळा-खोळों मा कैमरा लेकी सदानि पौंच्यु रान्दु छौ वू। वेकी पीएचडी कु विषय बि रै "फोटो पत्रकारिता का पर्यटन मे योगदान"। युनिवर्सिटियु तै कै डौकुमेंटरी फिलम बि बणैनी वेन।
मी बि जब दिल्ली- गुड़गौं म छौ त, गढ़वाळै भौत याद आन्दि छै, अर जै बि छंचर ऐत्वारौ तै हम मिल्दा छा त बस डांडी-काँठियुं की छ्वीं बत्त लगदी छै।गढ़वाळ म उबारि पर्यटन इदगा नी छौ, छौ बि त बस चार धाम यात्रा म आन्दा छा लोग, य फेर हेमकुंड साब । लोका न ६-७ सालूं तक गढ़वाळा कुणा-कुणा मा जैकी ठेठ गढ़वळी ब्यो रिकोर्ड करी छा जैमा वेन गढ़वाळा अलग-अलग रीति-रिवाज देखनी, त सन २००० नन्दा देवी राजजात म वेन हिमालय तै नजीक बटि देखी अर जाणी। त हमारू ज्यु बोली कि किलै ना गढ़वाळै या खुबसरती दुन्या तै बि दिखाये जावु, अर हमुन २००१ म एक बेबसाईट बणै जैकु नौ बि लोका नी धारी “garhwaldarshan.com”. पर उबारि फुकणु तै इद्गा फाल्तु पैंसा नी होन्दा छा अर लोका बि सिन्नगर वापस ऐगै छौ त द्वी साल बाद वा बेबसाईट बन्द कर दे।
मिन वेतै सदानि दुसरौं कि मदद करदु हि देखि। क्वी बि काम हो सब वेमा छोड़ी निस्फिकर व्हे जांदा छा, किलै कि सब जण्दा छा कि वु अप्ड़ा काम छ्वोडी वुँका काम कल्लू। लोग वेकि ईं बातौ फैदा बि उठांदा छा, अर इन बि नि छौ कि वु यु जण्दु नि छौ। कद्गै छुविं वेन मैम बि लगैनि, पर मिन कबि बि वेतै, वुँ लोगुं तै यु सुणांदु नि सुणि कि वु वेकु फैदा उठांदन। वेतै एक सौक हौर छौ, लोगुं तै अप्ड़ु पकायुं खलाणौ। पकांदु त सब्बि धाणि छौ पर मुर्गा बणाणौ त मास्टर छौ भै वु । वेका सब दग्ड़्या जण्दा छा कि लोका च दगड़म त, भुक्कि नि मोर सक्दां। २०१२ म मि वे दगड़ी ४-५ दिनों तै जौन्सार बावर एक डौकुमेंटरी फिलमै सुटिंग मा ग्युं, सुधीर गुप्ता जी न वे दगड़ी एक नयु कैमरामैन सुजीत भैजी छौ। वे तै सुधीर गुप्ता न यु बोलि भेजि छौ कि अगर तु कखि बोण म रात फंस बि जैलि त लोका ते तै जंग्ली मुर्गा मारि, द्वि तीन तरै कि डिस बणै कि खलै देलु।
वु मेरु छ्व्टु भुला हि नि छौ, मेरू गुरु बि रै। मेरा हातम कैमरा वेन हि पकड़ै, अर जू बि सिखै वेन हि सिखै। सिन्नगर वापस आण से पैली गुड़गौं मा कोसीना कु एस एल आर कैमरा वु मैतै चलाणु सीखैकि अर देकी चल गी, कि फोटो खींचणा रा। मेरि खिंचिं फोटुं म व कमि बि बतांदु छौ, त बड़ै बि करदु छौ। रातै फोटु खिंचड़ु भौत सौक छौ वेतै, भैर कद्गा बि जड्डु हो, रातौ तै हम कद्गै दां, द्वि, द्वि , तिन, तिन घंटा तक जड्डा म फोटु खिंचणा रांदा छा।
२००७ म मेरा रुड़की आणा बाद त हमुन भौत यात्रा दगड़ा म कन्नी, साल मा एक-द्वी बार त हम जरुर जान्दा छा। वे दगड़ी उच्च हिमालय कि यात्रा त नि व्हेनी, किलै कि सन द्वि हजारै राजजात यात्रा म वेतै भगवाबासा मा ‘acute mountain sickness’ व्हे गै छै, इलै वु ज्यादा हाई एल्टीट्यूड मा नी जान्दू छौ। पर हमुन दगड़ा म पैदल, मोटरसैकिल अर गाड़ी म लगभग सैरू उत्तराखण्ड घुमी अर वु बि एक बार ना, कै कै बार। अकेला अर दगड़्यों दगड़ी ही ना, बच्चों दगड़ी बि वेन भौत यात्रा कन्नी, बच्चों कु त वु कोलेज चाचा छौ।
कुछ साल पैली वेतै लुपस नौ कि बिमारि व्हे गै छै, ज्वा सैद आज वेतै कुल्ल ४४ सालै उमर म हि हमसे दूर ल्ही गै छै। वे तै बि सैद इन पता नि छौ कि वु इद्गा जल्दि बि जै सक्दु च। अबि द्वि मैना पैली त वेन नयु दफ्तर खोली तै, एक नौना तै नौकरि म रखि छौ, अर बोन्नु छौ कि भैजी अब नौकरि नि कन्न यार। वु त इद्गा जीवट छौ कि २०१६ म जब वु बिमारि बटी थ्व्डा सि ठीक व्हे, मिन वेकु तै बोलि चल रुद्रनाथ चन्नी छै, त त्य्यार व्हे गी। जाण दां त न, पर वापस आण दां जब पनार बटि काफि तौळ उतर ग्यां तब बोलि वेन “मिन सची मा इतरी उकाल चढी परसि, मतलब मि ठीक छौं”। रुद्रनाथ दुबारा चन्नौ बि बोलि छौ वेन, पर २०१८ म जब मि बच्चौं दग्ड़ी ग्युं त वु कखि काम म फंस्यु छौ। पर आज... मि वेकी सांग लिजाणु छौ!!!
कदगै यात्रा करि छै वे दगड़ी, अर आज य आखिर यात्रा छै। ये जलम मा इद्गै छौ मेरा बांठम वु, अर मैतै पूरु बिस्बास च कि दुसरा जलम मा हम फेर मिल्ला, किलै कि हमारा जलम-जलम रिस्ता हि हमतै आपस म मिलंदन। पर ये जलम मा त अब भस वेकि याद हि छन।
रूड़की बटी देरादूणा सैरा बाठा म लोकै मुखड़ी हि रिंग्णी रै ये मन म, अर वे दग्ड़ी कट्याँ सुख दुखा सब्बि दिन याद आणा रैनी। अबि मैतै होस्पिटलम पौंच्याँ १ घण्टा बि नि व्हे छौ कि खबर आई कि लोका नी रै। उबारि सबसे पैली मैतै मां कि सकल याद ऐ, अर यु सोचणु छौ कि कै मुखन जौलु वींका समणी। पर पैली त वेका सरील तै सिन्नगर लिजाण छौ । वे दिन यु बि मिन पैली बार मैसूस करी कि प्राण जांदू हि हम मनखी कू नौ नी लेन्दां, येकू तै केवल सरील ही बोळ्दां।
लोका त दगड़्यों कु दगड़्या छौ, इलै वेका दगड़्यों कि लंग्त्यार बि उदगा हि लम्बि छै। मि जख बि वे दगड़ी ग्युं हर गौं या सैर म वेका दगड़्या मिल जान्दा छा, अर सेण-खाणौ जुगाड़ बि कर देन्दा छा । अर क्वी पछणाकौ नि मिल्दु छौ त थ्व्ड़ा सी देरम, वेकू क्वि न क्वि दगड़्या बणी, वे दगड़ी ऐ जान्दू छौ, अर दगड़्या बि इनू जन बर्सूं की पछाण हो। उबारि ई उबारि, ३५-४० लोग कठ्ठा व्हे गैनि अर अम्बुलैन्सो इन्त्जाम करी सब्बि सिन्नगरा बाठा लग गैनी।
मैतै याद ऐ वेकी वा छ्व्टी सी हैंसदी मुखड़ी, जबारि मिन वेतै पैली बार देखि छौ, दसम छौ वे साल वु। सतीसौ घौर कोलेजा नजीक छौ, इलै जादातर स्यामौ कल्यो मेरु बि उक्खी होन्दु छौ। कल्यो खान्द खान्द हम जगजीत या ग़ुलाम अली, गज़ल सुण्णा रान्दा छा त वु बिस्तर म बैठी बस खुट्टी हिलाणु रान्दु छौ, बच्यान्दू भौत कम छौ वु, बस कुछ बोला त हैंसणु रान्दु छौ। एक दिन स्यामौ त मि वूंका घौर पौंच्यू त सब परेसान छा, दसम दुसरा साल बि फील व्हे गै छौ वू। त सतीस न ललित पंत भैजी दगड़ी बात करि वेतै विडियो रिकोर्डिंगा काम म लगै दे। वेन बि अफु तै वेमा इन रमै कि कैमरा हि वेकि पछाण बण गी। वेका ३ साल बाद हम दुयुन पौड़ी छौड़ दे त हमारु मिन्नु बि कम व्हे गी । फेर ६-७ सालूं तक वेन खूब मीनत करि, अर रुप्या बि खूब कमैनी, पर वेतै रुप्या जमा कन्नौ सौक कबि नि रै। बस जुत्तों अर कपड़ौं कु सौक छौ वेतै।
इन बि नि रै कि वेन यु सालूं मा केवल रुप्या हि कमैनी, पैली वेन प्रावेट दस फेर बारा पास करी, अर फेर कोलेज बटी बीए पास करी। पर अप्ड़ा काम बटी कबि संतुष्ट नि व्हे वु, अर सदानि हौर अच्छु ढ़ुडणु रै। यै हौर बिन्डी अर अच्छु सीखणै बिमारि मा वेन सिन्नगर तै छोड़ी, दिल्ल्यू बाठु पकड़ी । डेढ़-एक साल, दिल्ली म वेन सुधीर नौटियाळ दगड़ी स्टुडियो मा ऐडिटिंगौ काम त खूब सीखी पर बिना पैसा का, इलै खैरी बि खूब खैनी। पर कैतै कबि यु पता नि लगण दे कि वु खैरी म च। मि बि उबरी गुड़गौं म छौ त मैना म एक-द्वी बार त मिल हि जान्दा छा। एक दिन वु गुड़गौं ऐ, अर बोली भैजी यार आज दारू पेणौ ज्यु बोन्नु च! वे दिना, वेका वु सब्द मेरा कानूं बटी कबि नी जंदन "भैजी अब मिन ईं दिल्ली कबि नी आण, मी जब बटी कमाण ल्ग्यूं मिन कबि फट्यां जुत्ता नी पैन्नी, पर ईं दिल्ली न पैरै येनी"। वेका बाद वु सिन्नगर वापस ऐ, मास कम्युनिकेसन बटी पीजी करी अर कै बर्सूं तक युनिवर्सिटी मा संविदा मा मास कम्युनिकेसन पढ़ै, अर फेर पीएचडी बि करी। वेका पढ़ायां कै नौना-नौनी आज प्रिन्ट अर इलैक्ट्रोनिक मीडिया म छन। पर वेतै रास ऐनी, त बस हमारा पाड़ै डांडी-काँठी अर हमारि संस्कृति, जखा हर तीर्थ स्थान अर मेळा-खोळों मा कैमरा लेकी सदानि पौंच्यु रान्दु छौ वू। वेकी पीएचडी कु विषय बि रै "फोटो पत्रकारिता का पर्यटन मे योगदान"। युनिवर्सिटियु तै कै डौकुमेंटरी फिलम बि बणैनी वेन।
मी बि जब दिल्ली- गुड़गौं म छौ त, गढ़वाळै भौत याद आन्दि छै, अर जै बि छंचर ऐत्वारौ तै हम मिल्दा छा त बस डांडी-काँठियुं की छ्वीं बत्त लगदी छै।गढ़वाळ म उबारि पर्यटन इदगा नी छौ, छौ बि त बस चार धाम यात्रा म आन्दा छा लोग, य फेर हेमकुंड साब । लोका न ६-७ सालूं तक गढ़वाळा कुणा-कुणा मा जैकी ठेठ गढ़वळी ब्यो रिकोर्ड करी छा जैमा वेन गढ़वाळा अलग-अलग रीति-रिवाज देखनी, त सन २००० नन्दा देवी राजजात म वेन हिमालय तै नजीक बटि देखी अर जाणी। त हमारू ज्यु बोली कि किलै ना गढ़वाळै या खुबसरती दुन्या तै बि दिखाये जावु, अर हमुन २००१ म एक बेबसाईट बणै जैकु नौ बि लोका नी धारी “garhwaldarshan.com”. पर उबारि फुकणु तै इद्गा फाल्तु पैंसा नी होन्दा छा अर लोका बि सिन्नगर वापस ऐगै छौ त द्वी साल बाद वा बेबसाईट बन्द कर दे।
मिन वेतै सदानि दुसरौं कि मदद करदु हि देखि। क्वी बि काम हो सब वेमा छोड़ी निस्फिकर व्हे जांदा छा, किलै कि सब जण्दा छा कि वु अप्ड़ा काम छ्वोडी वुँका काम कल्लू। लोग वेकि ईं बातौ फैदा बि उठांदा छा, अर इन बि नि छौ कि वु यु जण्दु नि छौ। कद्गै छुविं वेन मैम बि लगैनि, पर मिन कबि बि वेतै, वुँ लोगुं तै यु सुणांदु नि सुणि कि वु वेकु फैदा उठांदन। वेतै एक सौक हौर छौ, लोगुं तै अप्ड़ु पकायुं खलाणौ। पकांदु त सब्बि धाणि छौ पर मुर्गा बणाणौ त मास्टर छौ भै वु । वेका सब दग्ड़्या जण्दा छा कि लोका च दगड़म त, भुक्कि नि मोर सक्दां। २०१२ म मि वे दगड़ी ४-५ दिनों तै जौन्सार बावर एक डौकुमेंटरी फिलमै सुटिंग मा ग्युं, सुधीर गुप्ता जी न वे दगड़ी एक नयु कैमरामैन सुजीत भैजी छौ। वे तै सुधीर गुप्ता न यु बोलि भेजि छौ कि अगर तु कखि बोण म रात फंस बि जैलि त लोका ते तै जंग्ली मुर्गा मारि, द्वि तीन तरै कि डिस बणै कि खलै देलु।
वु मेरु छ्व्टु भुला हि नि छौ, मेरू गुरु बि रै। मेरा हातम कैमरा वेन हि पकड़ै, अर जू बि सिखै वेन हि सिखै। सिन्नगर वापस आण से पैली गुड़गौं मा कोसीना कु एस एल आर कैमरा वु मैतै चलाणु सीखैकि अर देकी चल गी, कि फोटो खींचणा रा। मेरि खिंचिं फोटुं म व कमि बि बतांदु छौ, त बड़ै बि करदु छौ। रातै फोटु खिंचड़ु भौत सौक छौ वेतै, भैर कद्गा बि जड्डु हो, रातौ तै हम कद्गै दां, द्वि, द्वि , तिन, तिन घंटा तक जड्डा म फोटु खिंचणा रांदा छा।
२००७ म मेरा रुड़की आणा बाद त हमुन भौत यात्रा दगड़ा म कन्नी, साल मा एक-द्वी बार त हम जरुर जान्दा छा। वे दगड़ी उच्च हिमालय कि यात्रा त नि व्हेनी, किलै कि सन द्वि हजारै राजजात यात्रा म वेतै भगवाबासा मा ‘acute mountain sickness’ व्हे गै छै, इलै वु ज्यादा हाई एल्टीट्यूड मा नी जान्दू छौ। पर हमुन दगड़ा म पैदल, मोटरसैकिल अर गाड़ी म लगभग सैरू उत्तराखण्ड घुमी अर वु बि एक बार ना, कै कै बार। अकेला अर दगड़्यों दगड़ी ही ना, बच्चों दगड़ी बि वेन भौत यात्रा कन्नी, बच्चों कु त वु कोलेज चाचा छौ।
कुछ साल पैली वेतै लुपस नौ कि बिमारि व्हे गै छै, ज्वा सैद आज वेतै कुल्ल ४४ सालै उमर म हि हमसे दूर ल्ही गै छै। वे तै बि सैद इन पता नि छौ कि वु इद्गा जल्दि बि जै सक्दु च। अबि द्वि मैना पैली त वेन नयु दफ्तर खोली तै, एक नौना तै नौकरि म रखि छौ, अर बोन्नु छौ कि भैजी अब नौकरि नि कन्न यार। वु त इद्गा जीवट छौ कि २०१६ म जब वु बिमारि बटी थ्व्डा सि ठीक व्हे, मिन वेकु तै बोलि चल रुद्रनाथ चन्नी छै, त त्य्यार व्हे गी। जाण दां त न, पर वापस आण दां जब पनार बटि काफि तौळ उतर ग्यां तब बोलि वेन “मिन सची मा इतरी उकाल चढी परसि, मतलब मि ठीक छौं”। रुद्रनाथ दुबारा चन्नौ बि बोलि छौ वेन, पर २०१८ म जब मि बच्चौं दग्ड़ी ग्युं त वु कखि काम म फंस्यु छौ। पर आज... मि वेकी सांग लिजाणु छौ!!!
कदगै यात्रा करि छै वे दगड़ी, अर आज य आखिर यात्रा छै। ये जलम मा इद्गै छौ मेरा बांठम वु, अर मैतै पूरु बिस्बास च कि दुसरा जलम मा हम फेर मिल्ला, किलै कि हमारा जलम-जलम रिस्ता हि हमतै आपस म मिलंदन। पर ये जलम मा त अब भस वेकि याद हि छन।
सन २०००, राजजातै यात्रा मा लोका अर वेकि खैंचीं कुछ फोटू
लोकै पैलि केदारनाथ यात्रा
कार्तिक स्वामी मेला मा
चन्द्रसिला २००८
जौनसार २०१०
नचिकेता ताल २०१०
हनोल २०१०
दयारा २०१० - ईं फोटू ख्यंचणा बाद, म्यरा हत्त न वेकु कैमरा छ्युटी, अर वेकु लैन स टुट गै छौ
सेम मुखेम २०१३
राज जात २०१४
रुद्रनाथ २०१६
चाँद्पुर गढ़ी २०१७
पौड़ी - मार्च २०१८, वु सुबेर म हि गरम पाणी न नहे गै छौ, पर कोठार (मेरु गौं) मा जन्नी मि धारा म नहेयुं, त वे से बि नि रये
२००२, मेरा ब्यो का टैम, कोटद्वार घौरम
२००८, बद्रीनाथ यात्रा म जान्दा दां
२०१३ - गंगोत्री यात्रा, मेरा हि न बच्चों का बि मास्टर जी छा वु
२०११ - चेलुसैंण म एक रात, दगड़्यों तै वेन जंगल म तीन तरां कु च चिकन खळै
२०१० - दयारा कि छानी म
२०१४ - ताराकुण्ड म
२०१३ लमगौं से पैली एक ढा़बा म, रातौ तै यात्रियुं की भीड़ व्हेगी, त लाला दगड़ी खाणु बि बणै वेन, अर अफु बि कस्टमर हि छौ
वेतै फोटु ख्यंचण, अर विडियो बणाण दां देख्णम बि मजा आंदु छौ
केदारनाथ यात्रा २००६
चोपता २००६
तुंगनाथ - चन्द्रसिला यात्रा २००८
नीति घाटि क एक गौं - ळाता २००९
भविष्य बद्री यात्रा - २००९
बन्तोली स्कूल (मधमहेश्वर घाटी) - १५ अगस्त २००९
मधमहेश्वर यात्रा - २००९
दयारा बुग्याल यात्रा - २०१०
जोनसार मोटरसैकिल यात्रा २०१०
पैठाणीी - २०१३
देवाल - नन्दा देवी राजजात यात्रा २०१४
वाण गौं - नन्दा देवी राजजात यात्रा २०१४
वेदनी बुग्याल - नन्दा देवी राजजात यात्रा २०१४
देवरिया ताल २०१५
केदारनाथ यात्रा २०१५
लाखामंडल २०१६
कपिल मुनि आश्रम २०१६
आदि बद्री, चाँद्पुर गढ़ी, जागेश्वर्, पाताल भुवनेश्वर यात्रा २०१७
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