नागटिब्बा - एक देवस्थान जख दर्शन से जादा ट्रेकिंगो तै जाणान अजक्याला नौनियाल


अजक्याला ज्वान नौना नौनियूं मा एक नयू शौक भौत बढ्नू च, वू च ट्रैकिंगौ । अर वेमा भी सब्यूँ तै चयेणु च बस द्वी तीन दिनो ट्रैक, जैमा खुट्टियुं तै कष्ट भी नी हो अर छुट्टी भी कम लेण पोणुन । पर हमारि त खुट्टियुं मा ही चक्र च अर डाँड़ी कांठियूं मा भगणै बिमरि, इलै ऐतवार दगडी एक छुट्टी हौर होण चयेणी च बस, अर हम भी इख बटी गोळ । साला शुरु मा ही पूरा सालै छुट्टियूँ कू हिसाब-किताब लग जांदू, अर छोटा छोटा ट्रेकूँ कू भी । हमरा गढ़वाल मा नागटिब्बा भी इन्नी एक छोटु सी ट्रेक च, जैका बारा मा भी कै बार सोचै, पर जन्नी इंटरनेट मा फोटो ढुढन बैठा त कुछ नी मिलू, पर हाँ कुछ अच्छा लिखवारूँ कू लिख्युं जरुर मिली कि नागटिब्बा बटी हिमालय अर यमुना घाटी का सुंदर दर्शन होंदन । फिर एक बार खबरूं मा सूणी कि कुछ नौना जू नागटिब्बा ट्रेकिंगो तै जयां छा, जंगल मा रस्ता बिरड़ गैनी, अर बड़ी मुश्किल मा जंगलाता लोगुन द्वी-तीन दिन मा ढूंढ़ सकनी, वेका बाद पक्कू व्हेगी कि, नागटिब्बा त जाण ही च ।


मैतै इन लगी कि लोग नागटिब्बा रूडियूं मा या फिर बस्ग्याला दिनूं मा ही जान्दन, पर हिमालय इख बटी भी दूर ही च, इलै ह्यूंदा दिनूं मा जये जावू त शैद ज्यादा ठीक च अर व्हे सकदू ह्यूं पोड जौ त हौर मजा । ३० दिसंबर २०१२ इतवारौ दिन छौ अर १ जनवरी ओफिसै छुट्टी रांदी, इलै बस एक दिनै छुट्टी चयेणी छै । दगड़ा मा हम साला आखिरी दिन ईखा क़िब्लाट से दूर, शांत जगा बटी २०१२ की बिदगी कै सकदा छा, अर नै सालै शुरुवात भी ईं शांत प्रकृति का दगड़ा रै की कर सकदा छा । नेगी जी अर प्रमोद भी इन्नी चाणा छा त बस फिर क्या छौ, मैतै भी मौका मिल गी नागटिब्बा जाणौ ।

पंतवारी बटी, अछ्लेंदू घाम , फोटो ३० दिसम्बर २०१२
छानी खोन्नै कोशिश, बड़ू जुगाड़ लगाण पोड़ी जब क्वी भी चाभी नी लगी, फोटो ३० दिसम्बर २०१२

नागटिब्बा पौचणा द्वी बाठा छन, एक देवलसारी व्हेकी, दुसरु पंतवारी व्हेकी । ई द्वी नागटिब्बा डांडा का द्वी अलग-अलग कुणा छन । कुछ लोग एक तरफ बटी जैकी दूसरी तरफ निकलदन जैमा तीन दिन लगदन अर ज्यादातर मनखी चल्दू ही रान्दू । अगर क्वी अपणी गाडी लेकि जाणू च त वेतै जख बटी चढ़ू उक्खी उत्तन्न पोडदु । हम भी अपणी गाडी लेकी जाणा छा अर ज्यादा टैम मत्थी लगाण चाणा छा इलै पंतवारी वोलु रस्ता पकड़ी, जै बाठा नागटिब्बा धार ९ किमी च । देरादून बटी पंतवारी ९० किमी च । अगर अपणी गाडी नी लिजाण त देरादून बटी बड़कोट, पुरोला जाण वोली कैं भी गाडी पकड़ी नैनबाग उतर सकदां । जख बटी पंतवारी १४ किमी च अर लोकल टैक्सी मिल जन्दन | नागटिब्बा मा मत्थी क्वी भी होटल नी च इलै टेंट जरूर चयेणु च । अब त नागटिब्बा भौत लोग जाण लग गैनी त गौं का लोग भी टैंटै व्यवस्था कर देला ।

जुन्यली रातम नागटिब्बा क्षेत्र, फोटो ३० दिसम्बर २०१२
आरामदायक छानी, इन वखत कम मिल्दु जिंदगी मा

पंतवारी बटी नागटिब्बा लगभग ७-८ किमी च अर आराम से चल-चली भी ४-५ घंटा मा पौंचे जांदू । अगर हमरी तरों तुम भी दोफरा बाद पंतवारी पौंचदाँ त ४-५ किमी चली एक छोटा सी बुग्याल मा बासा रै सकदां । पर हम मा त नाग देप्ता की कृपा छै इलै हम पंतवारी पौंची ही ब्यखुनि दां छाँ, अर वुख बटी घाम असलेणा बाद ही बाठा लग सक्यां, त हम रात टेंट मा राणै जगा एक बढ़िया छानी मा रै पयां । ह्यूंदै रातियूं मा जड्डू त खूब लगदू, पर रात जुन्यली होवन त भैर बैठी ज्यूना उजेला मा ईं प्रकृति कु एक अलग रंग तुम तै देखणु मिल जालू ।

३-४ किलोमीटरा ये जंगलआ बाद च नागटिब्बा , फोटो ३१ दिसम्बर २०१२
रस्ता बीचौ एक छोटू बुग्याल जख बासा रये जै सकदू, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२
चल्दु-चल्दु एक हौर सुन्दर छानी, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२

पंतवारी बटी ४-५ किमी चन्ना बाद जंगल शुरू व्हे जांदू, ये जंगल देखी मन खुश व्हे जांदू कि चला कख्खी त अभी मनखियुं न जंगल छोड़्यां छन । फिर ८ किमी चली पौंछदाँ एक छोटा सी सुन्दर बुग्याल मा जैतै लोग नागटिब्बा नौ से जणदन । बुग्याल छोटू च पर मत्थी-मूड़ी घैणु जंगल होण से भौत भलू लगदू । इखम जंगलात वोलुं कु द्वी कमरों कु एक गेस्ट हाउस भी बणयु च जैका द्वार टुटियाँ छन अर भीतर गोरू, बखरों कु मोल ही मोल भोरुयूँ रान्दू, मतलब राण लैक नी च, त अगर थक गयां अर इक्खी राणौ ज्यू बोन्नू च, त टेंट लगाणु ही ठीक च । ईख बटी बैं तरफां डालियुं का फोंकों का बीच बटी हिमालयै स्वर्गारोहिणी वोली काँठीयुं का दर्शन होंदन अर दाईं तरफां लगभग ५० मीटर दूर नाग देप्तौ मंदिर च । नागजाति्या गढवाल मा राजा बारा मा मिन सेममुखेमा ब्लॉगम बतै छौ, यू भी नाग देप्तौ एक पुराणु थान च अर सैरा जौनपुरा लोग अपणा ये देप्ता तै पुजणु वख्त-वख्त मा इख आणा ही रांदन । पुराणा मंदिरा भैर बटी दीवाल लगै की नयू मंदिर बण्यु च। नजीक ही एक छोटू सी कुंड च , जू ह्यूंदा दिनों मा इख पाणी कु अकेलु सौत च | पर पाणी बिना ऊबाल्यां नी पियां ।

नागटिब्बा से पैल्यु जंगल, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२
नागटिब्बा पौंछदी होंदन स्वर्गारोहिणी कांठिया दर्शन, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२
नागटिब्बा मंदिर, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२
नागटिब्बा मा जंगलातौ गेस्ट हाउस, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२

अगर नागटिब्बा टॉप मा रात राणौ ज्यू बोन्नू त बस थोड़ा सी उकाल हौर चढ़ण । बाठु फिर जंगला बीचौ च, पर छ एकदम खड़ू, अर जादा से जादा १ घंटा हौर लगलु ये डेढ किमी चन्न मा । जंगल ख़तम होंदू ही आन्दू एक छोटु सी सुन्दर बुग्याल, इखम क्वी मंदिर त नीच, पर झंडा लग्यूं च, इलै लौग येतै झंडीधार भी बोलदन । इख चर्री तरफां देखी मन इन रमेंदू कि टेंट लगाणौ भी ज्यू नी बोल्दू । पर वखत रांदू ही टेंट लगै ल्या, निथर इन कुरकुरि चलदी की...। नागटिब्बा बटी उकाल चढ़दू-चढ़दू इन अस्यो पस्यो होन्दू कि, टी शर्टा मत्थी का सब कपडा उतर जन्दन अर धार तक पौन्च्दू-पौन्च्दू मत्थी बस टी शर्ट ही पैरीं रै जांदी । पर इख जादा देर फरफुरि मा रैल्या त कड़कड़ु होन्दु देर नी लगली । ईलै पैली टेंट लगै ल्या, गरम कपड़ा पैरा, अर फिर देखा एक खूबसूरत शाम । जंगल नजीक च त सुख्यां लखड़ा भी मिल जन्दन, अर रुमुक पोडण से पैली आग सुल्गै जावु त सरील तपांदू-तपांदू, रुमुक पोडदू देखा। हम अपणा रोजा कामों मा यु सब देखणु बिसर जदां । इख रुमुक पोण्णा बाद दिन अर रात द्वी दगड़ी दिखे जन्दन, तौळ अंधेरु अर अगाशम उजेलु । इख पाणी नी च पर ह्युंदा दिनुं मा ह्युं पोडयूं मिल जांदू । पर तौळ नागटिब्बा बटी पाणी जरूर लिजा ।

नागटिब्बा धार बटी हिमालय दर्शन, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२   
नागटिब्बा धार , फोटो ३१ दिसम्बर २०१२    
नागटिब्बा धार बटी हिमालय दर्शन, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२    
नागटिब्बा धार बटी हिमालय दर्शन, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२    
नागटिब्बा धार बटी अछ्लेंदु घाम, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२
नागटिब्बा धार बटी अछ्लेंदु घामा दर्शन, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२    
नागटिब्बा धार बटी दिन अर राता एक दगडी दर्शन, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२ 
२०१२ की बिदागी, फोटो ३१ दिसम्बर २०१२  

नागटिब्बा धार बटी गढ़वाल हिमालय की कै हिंवाली काँठी दिखेंदन, जैमा नंदा देवी, नंदा खत, द्रोणागिरी, नीलकंठ, मंडनी, बंदर पूँछ, स्वर्गारोहिणी मुख्य छन । नागटिब्बा चोटी बटी घाम आणा वखत भी ईं प्रकृति कु अलौकिक सौंदर्य एक बार फिर देख़ेंदु, अर प्रकृति का इन इन रंग दिखेंदेन की इक्खी बसणौ ज्यू बोल्दू ताकि रोज इन सुबेर दिखेवु । नागटिब्बा बटी तौळ उतरदू ही गों का लोग अपणा रोजा कामउँ मा मिस्यां देख़ेंदन अर हम अफ तै फिर एक नयी दुनिया मा देखदां । नागटिब्बा की व श्याम अर सुबेर एक सुप्न्या सी याद आण बैठ जांदी, अर फिर वापस नागटिब्बा जाणौ ज्यू बोन्न बैठ जांदू । त इन च नागटिब्बा!!! अगर अभी तक तुम तै जाणौ मौका नी मिली त एक बार जरुर वखत निकाला ।

नागटिब्बा धारै सुबेर, फोटो १ जनवरी २०१३
नागटिब्बा धारै सुबेर, फोटो १ जनवरी २०१३
नागटिब्बा धारै सुबेर, फोटो १ जनवरी २०१३
नागटिब्बा धारै सुबेर, फोटो १ जनवरी २०१३
नागटिब्बा धारै सुबेर, फोटो १ जनवरी २०१३
हमारा छानी मालिको घौर, फोटो १ जनवरी २०१३
रोजना काम मा लग्यां पंतवारी गौं का लोग, फोटो १ जनवरी २०१३
रोजना काम मा लग्यां पंतवारी गौं का लोग, फोटो १ जनवरी २०१३

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