मणिमैस (Manimahesh / Chamba / Bharmouri Kailash)



"हेऽऽऽ कैळासु मा रैंदा, हो शँभू भोळेनाथा। हे भँगुळ्या वु जोगी, ध्युनी मा रम्यु होळुऽऽऽ"

छव्टा मा जबारि बी या जागर सुंणेदी छै त मी समज्दू छौ कि कैळास परबत सर्ग मा च​, जख कुळ देप्ता ही जै सकदन। फेर पता चळी की कैळास त इक्खी च, अर हम वेका नजीक बटी दरसन बी कर सकदां। पर ळोखुं कु बोळ्युँ सूणी कि, वुख या त जोगी जांदन या फिर वु जौंन अपड़ी सैरी जिमाबारि पूरायेनी। अर आण-जाणु तै बी कम से कम एक मैना चयेणु च, किळै कि वुख पैदळ ही जाये जै सकेंदू। फेर पता चळी की कैळास त चार हौर बी छन, एक कुमौं मा अर तीन हिमाचळ मा। त स्वोचि कि अब जब पंच्ची कैळासुं की जात्रा कन्न,​ त किळै ना कै एक बटी सुरु करे जौ, फेर बड़ा कैळासा टैम आण तक जिमाबारि बी पुराये जाळी। अर उमर बी व्हे जाळी त टैमै बी चिन्ता नी राण।

२०१८ सुरु ह्वोंदी, म्यरी अर प्रमोदै सळा व्हे कि ऐंस्वा साळ सतोपंथै जात्रा करे जाळी। पर मै-जून आंदू- आंदू हमारा प्रदेसा एक हिवांळा का प्रेमी की धै मा, उत्तराखण्ड हाई कोर्टे तरफां बटी बुग्याळूं मा रात राणै मनै व्हे गी। पैळी त ळग्णु छौ कि द्वी-तीन मैना मा सब ठ्यीक व्हे जाळू। पर जब अगस्त बी अद्धा निकळ गी, तब पोट्गाम पीड़ा सुरु व्हे। त स्वोचि कि किळै ना ये साळ हिमाचळा एक कैळासै जात्रा करे जौ। श्रीखण्ड अर किन्नर कैळासै जात्रा १५ अगस्त तक निपट जाँदन, त मणिमैस कैळास फैंडळ व्हे गी।

सीदा बाठा बटी जा, त मणिमैस कैळास द्वी दिनै जात्रा च​। पैळा दिन हडसर बटी १३ किळोमीटर चढी मणिमैस कुण्ड पौच्ण, अर दुस्रा दिन वापस​। पर हम त ६-७ दिनै जात्रा स्वच्णा छा। इळै चंबा का दग्ड़या राजेश भै तै पूछी, त वून ७-८ दिनौ बाठु बथै दे, जु हम तै बी ठ्यीक ळगी। दरसळ चंबा, कांग्ड़ा अर ळाहौळ​ का ळोग भौत पैळी बटी इखै जात्रा करणा छन। इख पौंच्णा ऊँका अळग​-अळग बाठा छ्न​, अर हम युँ सब्युँ का बाठौं मा, थ्वड़ा-थ्वड़ा चन्न व्ळा छा।

हरद्वार बटी रातै बस पकड़ी दुस्रा दिन सबेर चम्बा, अर ब्यखुनी दाँ तक भरमौर।
तेस्रा दिन कुग्ती गौं (वुख बटी मराळी माता, कार्तिक स्वामी जात्रा। ळाहौळ-स्पीति व्ळा ळोग कुग्ती पास पार करी ये बाठा मणिमैस आँदन)।
चौथा दिन अळियास।
पाँचाँ दिन जोतनू पास पार करी मणिमैस कुण्ड।
छठाँ दिन सुखडळी पास पार करी तै होळी से कुछ ऐथर।
साताँ दिन जाळसू पास।
आठाँ दिन उतराळा व्हे की बैजनाथ, अर रातै बस पकड़ी सुबेर तक घौर (कागड़ै तरफां का ळोग जाळ्सू अर सुखडळी पास पार करी मणिमैसै जात्रा करदन)।

हरद्वार बटी चंबै बस सड़े तीन बजी छै, त मी अर प्रमोद अपड़ा-अपड़ा ठिय्यों बटी तीन बजी से पैळी हरद्वार बस अड्डा म पौंछ गयाँ। हमारु दग्ड़या सतीस बळूनी बी सिन्नगर बटी ईं जात्रौ तै आणु छौ। पर वेतै घौर बटी पैटण मा देर व्हे गै छै, अर वु अबि तक ब्यासी मा ही पौंछ सकी छौ। येका बाद चंबौ तै क्वी बी सीदी बस नी छै, त करार व्हे कि वु बस बद्ळ​-बद्ळी आळू, अर​ हम वेतै चंबा मा ज्वागोळ्ळा। सबेर आट बजी हम चंबा पौंछ गयां, अर राजेश भै स्टेसन बटी हम्तै अपड़ा घौर ळ्ही गैनी। डेड़​-द्वी घंटा बाद सतीस बी पौंछ गी। दोफरा एक बजी तक खाणु खैकी, टैक्सी ळ्हेकी हम भरमौरौ तै निकळ गयाँ।

चंबा
जात्री
चंबा बटी निक्ल्दु ही जगा-जगा मा ळग्यां भंडारा, अर झंडा ळगीं आँदी-जाँदी गाड़ियुं द्येखी ळग जांदू कि जात्रा सुरु व्हे गी। पाँच-सात मीळ चळ्दी हमारा टैक्सी वोळा न एक भंडारा मा गाड़ी रोक दे!!! “साब मिन खाणु नी खै, अर तुमुन बी जीमण त जीम ल्या”। फेर द्वी घंटा बाद एक जगा भर-भर्यु जाम ळ्ग्युँ छौ, पता चळी कि यु सैरा बाठा कु सबसे बढिया भंडारु च, अर इखम सब गाड़ी रुक्दन। वे जाम मा जब तक गाड़ी पार होंदी, कैन हम सब्युँ तै बी खीरा पुड़खा पकड़ै देनी। भरमौर, चंबा बटी ळगभग ६५ किळोमीटर च अर द्वी-ढै़ घंटा मा पौंचे जाँदु, पर इबारि त जात्रा कु टैम च​। एक त संगड़ी सड़क, वेमा आण-जाण व्ळा जात्रियुं कु भीड़, ब्यीच​-ब्यीचम भंडारों मा ळगीं भीड़​, अर ऐंच बटी बरखा कु झमणाट!! पाँच​ बज्या बाद ही पौंच सक्यां भरमौर​।

भरमौर पाँच-छै हजार मवासों की छव्टी सी सुंदर पाड़ी जगा च​, अर नजीका गौंवुं कु बजार बी। हौर टैम त सैद कम भीड़ राँदी ह्वोळी पर अजक्याळ त जात्रियुँ की खूब चैळ​-पैळ​ च। छटीं सताब्दी मा रज्जा मेरु वर्मन न बसै छौ ब्रहमपुरा, जैतै अब भरमौर ब्वोळ्दन। फेर दसीं सताब्दी मा रज्जा साहिळ वर्मन न चंबा बसै अर रजधानी भरमौर बटी वुख ळी गी। ब्वोळे जाँदू कि वेका टैम मा इख चौरासी संत ऐनी, जौमा एक छा चर्पटनाथ जी। वूंका आसीर्बादन निसन्तान रज्जा साहिळ वर्मन का दस नौना और एक नौनी व्हेनी, नौनी कू नौ छौ चंपावती। नै जगा रजधानी वींन ही छाँटी छै, इलै वींका नौ मा ही वुखौ नौ चंबा रखे गी। चर्पटनाथ जी तै साहिळ वर्मन न राज गुरु बणै, अर ईं नै जगा तै साहिळ वर्मन न गुरु चर्पटनाथ जी की छत्र-छाया मा ही बण्वै। चर्पटनाथ जी नाथ सम्प्रदाय का नौ गुरुँ मे से एक छन​।

इन ब्वोळे जांदू कि मणिमैसै जात्रा चर्पटनाथ जी न ही सुरु करी छै। सुरु मा या जात्रा तीन बार मा होंदी छै, रक्षा बंधन मा जोगी-जोगटा जाँदा छा, फेर जन्माष्टमी कु तै जम्मू-कश्मीरा (भद्रवाह अर भलेस​) ळोग, अर बकी तेस्रा राधा अष्टमी कु तै, जैमा चम्बा जनै का ळोग जाँदा छा। अब हिमाचळ सरकार बी ईं जात्रा तै हर साळ मणांदी, ज्वा जन्माष्टमी बटी सुरु व्हेकी राधा अष्टमी तक चळ्दी। मतळब छव्टु स्नान जन्माष्टमी कु तै अर बडु़ स्नान १५ दिन बाद राधा अष्टमी कु तै।

चौरासी मंदिर​, भरमौर​
चौरासी मंदिर​, भरमौर​
चौरासी मंदिर​, भरमौर​
चौरासी मंदिर​, भरमौर​

जात्री, चौरासी मंदिर अर भरमाणी माता मंदिरुं मा दसरन करी तै ही मणिमैसै जात्रा मा इख बटी ऐथर जाँदन। मी अर सतीस पैळी बजार जैकी रंगळा-पिंगळा छत्रा मोळ्ये की ळयाँ। किळै की सौणौ मैनु छौ, अर बरखा हम तै पूरी जात्रा मा ही मिळण छै। वेका बाद चौरासी मंदिर, जख जात्रियुं की चैळ-पैळ मा सैरा मंदिरुं का दरसन करे गैनी। जबारि तक पूजौ टैम होंदू, मी अर सतीस ळोगुं की सिकासौरी मा नंदी का खुट्टों का बीच छिरकी ऐ गयाँ। पर प्रमोद तै वु सैद ठ्यीक नी ळगी, मेरी जाण तबी वेन आंखि घुरैनी। एक नेपाळी नाथ जोगी दगड़ी बी खुब छ्वीं बत्त व्हेनी, गढ़वाळ मा बी खूब जात्रा करीं छै वेकी।


दुस्रा दिन सबेर पाँच बजी निंद​ खुळ गी, किळै कि मी भरमाणी माता मंदिर पैदळ ही जाण चाणु छौ।सतीस बी तय्यार छौ, पर प्रमोदै त सौं खयीं छन कि जख तक​ सड़क जाणी, वुख तक​ पैदळ नी जाण​। बरखा बी वे दग्ड़ी छै। इळै जब सड़े सात बजी मा बरखा थ्वड़ा कम व्हे, त हम बी वे दग्ड़ी टैक्सी मा ही चौड़ गयाँ। एक त कच्ची सड़क​, ऐंच बटी रात भरै बरखा। किचीळ ही किचीळ छौ सैरा बाठा मा, वु बी इनु कि डिरैबर​ हैंडिळ एक तरफां घुमाणु अर टैर दुस्री तरफां कु रण्णा। सैरा बाठा याई डौर ळगीं रै, कि कुजाणि जै भेळ ळमडळी या टैक्सी आज। वीं सड़क्या बाठा ६ किळोमीटर ल्ही जाण मा वेन पौण घंटा ळगै दे। भरमाणी माता मंदिर भौत सुंदर जगा मा च​, जख बटी मणिमैस कैळासा दरसन बी व्हे जांदन। भरमाणी माता का दरसन करी, फिर टैक्सी कु व्ही बाठु। वुखा डिरैबर इद्गा चकड़ैत छन कि वु पैळ्यी आण-जाणा पैंसा ळे देंदन, नीथर वे बाठा टैक्सी मा वापस​ जाण से बढिया ळोग तौळौ तै दन्की वीं से पैळी बजार पौंच जाळा।

भरमाणी माता मंदिर बटी
भरमाणी माता मंदिर बटी
भरमाणी माता मंदिर
भरमाणी माता मंदिर बटी 

भरमौर पौंची तै पैळी ३-४ दिनै रासन रखे गी, फेर​ प्यारु की बतायीं बोळेरो मा बैठ ग्याँ। ये पूरा बाठा मा प्यारु, हमारु गैड​, सरोळु अर पोटर सब्बी कुछ छौ। या बात अळग च कि सैरा बाठा मा खाणु वेन एक्की टैम बणाई। प्यारु कुग्ती गौं कु राण व्ळू च​, पर कमाण-घमाणू तै वु चंबा मा राँदू। राजेस भै न ही वेतै हम दग्ड़ी जाणु तै तय्यार करी छौ। चम्बा बटी ऐथार हडसर तक जात्रियुं की भीड़ छै त थ्वड़ा जाम मिळी, पर वेका बाद बाठा मा क्वी बी नी छौ। कुग्ती गौं बटी डेड़ किळोमीटर पैळी तक ही छै सड़क, अर येका बाद त अब छै दिन पैदळ हि चन्न छौ।
हडसर​, नद्या दैं तरफां मणिमैसौ सीदु बाठु, जै बाठा मीन जात्रा चळ्दी
कुग्ती गौं कु अड्डा


इखा सेब पकण मा अबि टैम च​

प्यारु का घौरम समान रखी अर चा पेकी, डेड़ बजी हम कर्तिक स्वामी मंदिरौ तै निकळ ग्यां। इखा ळोग येकु तै केळंग बजीरौ​ मंदिर ब्वोळ्दन। इखम कार्तिक स्वामी अर मराळी माता कु मंदिर च​। भरमौरा गौंवुँ मा गद्दी ळोग राँदन, जू जड्डों मा ऊना अर काँगड़ा चळ​ जाँदन, अर ब्क्या दिनूं मा वापस। युँकी खेती द्वी जगा च। रुड़्या दिनूं मा अप्ड़ा ढेबरों तै ळ्हेकी यी ळाहौळ​ जाँदन, अर सितम्बरा मैना मा वापस आँदन​। ळाहौळै घास तै ढेब्रों कु तै यी सब्से बढिया मणदन, अर उनै जाणु तै यी कुग्ती पास​, काळिछो पास या छोबिया पास पार करदन। तिन्नी पास ळगभग ५००० मीटरै ऊंचै का छन​। युँ पासूं तै पार कन्नू तै यी वुखा देवी-देप्तों मा ढेबरा चढै की ळांघा ळेंदन। ळाँघू नी मिळु त यी पार नी जाँदन​। कुग्ती पास पार कन्नू तै यी, यीं देबी बटी ळांघा ळेंदन​। मंदिर कुग्ती गौं बटी चार किळोमीटर च​, अर द्वी घंटा बाद हम मराली माता का मंदिर मा छा, पर वेका बाद एक घंटा तक बरखौ झौड़ु ळग गी। छै बजी तक हम वापस अयाँ, थ्वड़ा सी गौं घूमी, अर प्यारु की मां का हत्तै रोट्टी खैकी जळ्दी पोड़ ग्याँ।

मंदिरा बाठा बटी निचळी कुग्ती

मंदिरौ बाठु
मराली माता मंदिर
मंदिरा बाठा बटी 
उपारळी (मळ्ळी) कुग्ती





सबेर टैम मा उठी तै बी, निक्ळ्दू-निक्ळ्दू ८ बज गै छै। आज रातौ तै हमारु ठिय्या अळियास छौ, जू गौं बटी कम से कम १० किळोमीटर रै होळु। हिमाचळ मा पासा तौळा बुग्याळौ तै यी ळोग अळियास ब्वोळ्दन। गौं बटी निक्ळ्दी नदी पार करी, घैणा बौणा ब्यीच, खड़ी ऊकाळौ बाठु च। ये बोण मा भळ्ळू की डौर च, इळै दग्ड़ा-दग्ड़ी चळा त ठीक च​। तीन किळोमीटरै उकाळ काटी एक धारम बैठ्यां रयां, फेर डेड़-एक किळोमीटर ळदां-ळदां। एक वेका बाद बढिया बुग्याळ ऐ, जखम गौं व्ळै दुकान ळगाईं छै। रात राणौ बी पूरू जुगाड़ छौ वेकु करयुं। जगा इद्गा सुंदर छै, कि एक घंटा बैठ्याँ रै गयाँ​। वेका बाद तौळ गदना तक द्वी-ढै किळोमीटरै उंदार​। गदना का छाळा मा बी, गौं व्ळै एक दुकान ळगाईं छै। वुख पौंची छा कि बरखा सुरु। फेर एक घंटा ऊखम बि पोण्या रंयाँ। जब डेड़ बजी तक बी बरखा नी रुकी त, छत्रू खोळी बाठा ळग ग्याँ।

येका बाद​ सुरु मा त जादा उकाळ नी छै, पर धीरे-धीरे या बी एक्दम खड़ी व्हे गी। बरखौ झमणाट दिन भर ळग्युं रै, अर हम बी मठु-मठु ळग्याँ रंयाँ। स्याम पांच बजी बाद बरखा बंद व्हेगी, पर अबि तक बी हमारू ठिय्या नी द्यिखेणु छौ। प्यारु राम छौ त हमारू गैड, पर दोफरा मा जबारि हमुन वु दुकानि मा छ्वोड़ी छौ, वेका बाद बटी वेकु अता-पता नी छौ। एक जगा मा गदना नंगै की थ्वोड़ा सी हौर चळ्युं त मत्थि आदा किळोमीटर बाद दुकानि द्यिखेण ळग गैनी। पर वे गदना नजीक बटी कुछ बी नि द्यिखेणु छौ। थक त ळगी गै छै, त मी दगड़्यों तै ज्वागळ्ळां बाना, एक डांगम अड़ेसु मारी बैठ गयुं। बैठ्याँ-बैठ्याँ रुमुक पोड़ गी, तब प्यारु दगड़ी आँदू द्यिखेनी मेरा याड़ी।












वुखम राण-खाणौ पूरू जुगाड़ छौ त टैंट किळै ळगाण छौ। या जगा ४००० मीटरै ऊँचै मा च​, डाळी-बोटी त होन्दी नीन इद्गा ऊँचै मा, इळै ओक्सीजन कम होण मा भूक नी ळग्दी, मुंडारु होंदु स्यु अळग। अर हम त दिन भर भीग​-भीगी तै चळी छा, इलै जाँद्वी सीदा ळमळेट। बड़ी मुस्किळ मा उठै वून हम्तै खाणु तै। खाणा टैम मा पता चळी की कम से कम ३० ळोग हौर छन जौन सुबेर पास पार करी मणिमैस जाण। मौसम ठ्यीक राळू त सब्बी सड़े चार बजी तक निकळ जाळा। वूँमा कुछ ळोग द्वी दिन बटी उक्खी छा, मौसम साफ नी छौ त ऐथार नी गै छा वु।

सड़े चार बजी मा ळोगुं कु हळ्ळा सूणी हम बी बिज गयाँ। फटाफट धुयेयां, अर झोळ्ळी-तुमड़ी उठैकी चन्नु तै तय्यार। पाँच बजण व्ळी छै, पर अबी अंधेरु छौ। ळोग टोर्च बाळी तै ही बाठा ळग गै छा। वुंतै द्येखी मैतै माँ का छ्वोटा मा खबेसुं की बराता सूणाया किस्सा याद ऐनी, जू रांका ळ्हेकी जाणा रांदा छा। वींन बी सैद अप्ड़ी माँ या दादी बटी सूणी रै ह्वोळा वु किस्सा। त हम बी अप्ड़ी-अप्ड़ी टोर्च बाळी बाठा ळग गयाँ। उकाळ इनी खड़ी छै कि आदा किळोमीटर चन्न​ मा, आदा घंटा से बी जादा टैम​ ळग गी। अब उज्येळु बी होण बैठ गै छौ, अर हम से पैळ्या चळ्यां बी मिन्न बैठ गा छा। वुँमा से एकै तबेत खराब होणी छै अर वु चळ्दु-चळ्दु उळ्टी कन्नु छौ। वेन क्वी दवै माँगी, त मिन सम्जै की या जादा ऊँचै का बाना च। पाणी पेणी रा, गैरी-गैरी सांस ळी, अर जगा जगा मा थौ खैकी चळ​। थ्वड़ा ऐथार जैकी मी बी थौ खाण ळग ग्यों, किळै कि प्रमोद अर सतीस बी अबी तौळ बटी मठु-मठु ही चड़्णा छा।

थ्वड़ा देरम जैकी तबेत खराब छै वेका द्वी दग्ड़या वेतै पकड़​-पकड़ म्यरा सम्णी तक ळ्है गैनी। वेकी तबेत भौत खराब छै, अर ऐथार जाणै हिकमत नी लग्णी छै वेकी। कुग्ती मा हम सब्युन अफ​-अफु तै कुछ सेबै दाणी रख येळी छै, त मिन वेतै एक सेबै दाणी देकी ब्वोळी, यु प्रसाद खा अर बाबा कु जाप करदू-करदू चढ। एक त वेतै ळ्हेकी ऐथर चळ गी, पर दुसरू मैं दग्ड़ी छुंवी ळगाण ळग्गी। बकी दग्ड़्या त वुँका ऐथर चळ गै छा, पर येका हाळ द्येखी यी द्वी वे दग्ड़ी रुक गैनी। मिन वेतै अप्ड़ु किस्सा सुणै, कि कन मा पोरुवा साळ हम अप्ड़ा एक दग्ड़या तै, इन्नी हाळतूं मा बचै सक्याँ। अर सम्जै की येतै तौळ ळ्हिजा, भोळ तक येकु सरीळ ईं उँचै कु हभयस्त व्हे जाळू, तब चड़्यां। कुछ देर बाद वु बी ऐथार चळ गी। पर प्रमोद अर सतीसै त मेरी जाण आज सौं खंयी छै, वु अब्बि बी बैठ्यां छा।

समणा घार द्येखी मिन स्वोचि कि सैद युही पास च त फटाफट चण्ण बैठ गयुँ। बाठा मा वु तिन्नी दग्ड़्या वापस आंदू द्यिखेनी। सैद वुंतै ळग गै छौ की बीमार दग्ड़्या तै ऐथार ळ्ही जाणु ठीक नी। पर वा धार च्वोढी, त एक दुस्री धार द्यिखे, फेर वा धार बी चढ्युँ, पर पासौ कखी बी अता-पता नी छौ। इखम बटी डांडा दुस्री तरफां जाण छौ, इळै दग्ड़्यों तै ज्वागळ्ळं ळग गयुं। फेर​ थ्वड़ा हौर ऐथार गयुं, पर कुयेड़ी न सब्बी कुछ ढक्युं छौ। त दग्ड़्यों की ज्गवाळ होण ळ्ग्गी। थ्वड़ा देरम कुयेड़ी छंटे त सम्णा एकदम सीदा खड़ा डांडा मा, किरमोळा सी मनखी चळ्दु द्यिखेनी। हो त स्यु च पास!!!! कुछ देर तक वेतै द्येख्णु रयुं कि येतै चण्ण कन मा च। फेर थ्वड़ा हौर ऐथार जैकी बस मत्थि चड़्दा ळोगुं द्येख्णु रयुं। तौळ प्रमोद ळोग बी द्यिखेण ळग गै छा, अर वु बी टक्क ळगै की वीं उकाळ​ तै ही द्येखणा छा। अब जब या उकाळ चण्ण ही चण्ण छै त, मी बाठा ळग गयुं। ये द्वी-ढै सौ मीटरा खड़ा डांडा तै चण्ण मा मैतै एक घंटा से बी जादा ळगी। समज सकदां कि कन उकाळ रै ह्वोळी। अळियास बटी पास​ तका ५ किळोमीटर चण्ण मा मैतै सड़े पाँच घंटा ळग गै छा।

जोतनु ४९०० मीटरै ऊँचै कु पास च, अर ये बाठा मणिमैस जाण चाणा छां, त सरीळ अर ज्युक्ड़ी द्वी मजबूत करी जयां​। इखम बटी दुस्री तरफां उतन्नू तै बी द्वी-ढै सौ मीट रै उन्नी उंदार च, जन पैथरै उकाळ छै। फेर ऐथर एक बड़ु सी ग्ळेसियर, जैकु तै यी ळोग सिबजी कु चौगान (मतळब खेन्नौ पुंगड़ु) ब्वोळ्दन। तौळ दूर मणिमैस कुंड द्यिखे, जु अबी बी ६-७ किळोमीटर दूर छौ​। आदा घंटा बाद प्रमोद अर प्यारु बी पौंच गैनी, अर थ्वड़ा देरम सतीस बी। धूप-बत्ती करी फटाफट तौळ उतरे गी, पर वीं उंदार उतन्न मा बी आदा घंटा से जादा ळगी। फेर बरखा बी सुरु व्हेगी। प्यारु त ऐथर-ऐथर भाग गी, पर हम त थक गै छा इळै मठु-मठु कै ळग्यां रंयां। प्यारु हम तै मिळी ४ बज्या बाद​, तबारि तक बरखा रुक गै छै। पर वेमा छत्रू नी छौ त बिचारु तरबतर​ होयुँ छौ, अर ठंड न दाड़ी ठकटाणी छै वेकी। पता नी कद्गा देर बटी ज्वागळ्ळूं छौ वु हम्तै।

इखम बटी द्वी बाठा जाँदन एक तौळ गौरीकुंड उतरी मत्थि डेड़ किळोमीटर चड़्ण​ प्वोड़्दू, जादातर जात्री ये बाठा ही जांदन। दुस्रू नदी पार करी ग्ळेसियरा बाठा। हम गिळेसियर व्ळा बाठा बटी जाण चाणा छा। किळै कि वु सीदा मणिमैस कुंड मा जाँदू, ना जादा उकाळ ना जादा उंदार​। प्यारु न ब्वोळी, कि इबारि तक त हमुन कुंड मा पौंच जाण छौ​, अब गिळेसियरा बाठा जाणू तै अबेर व्हेगी। इळै य त तौळा बाठा चळा अर​ रात गौरीकुंड मा रौळा, य इख्मी टैंट ळगा। वेका हाळ द्येखी हम बी उख्मी रुकणु तय्यार व्हे गयां, पर नदी पार करी​। किळै कि वे बरफा पाणी मा सुबेर-सुबेर खुट्टा डळ्णा, मतळब नरकै सजा भुगतणी। पर सजा त इबारि बी भुगतै। आदा नदी तक कम पाणी व्ळी जगा खोजेणी रै, पर वेका बाद खुट्टियुं का यी हाळ व्हे गै छा कि बस जख बटी बी व्हे सकी, फटाफट नदी पार करे गी। खुट्टियुं तै अबि थ्वड़ा-थ्वड़ा ही रगड़ी तै गरम कर सकी छा कि बरखा ळग गी। फेर त बस फटाफट टैंट ळगी, अर स्ळीपिंग बैगा पेट​।


अळियासा बादै उकाळ​
जोतनु पासै आखिरी उकाळ​, ठ्यीक बीचम च पास​
    जोतनु पास बटी अळियासै तरफां
जोतनु पास बटी पैथर उतन्नौ रस्ता द्येखदु सतीस  

जोतनु पास बटी पैथर उतन्नौ रस्ता

बरखा सुबेर ८ बजी तक ळगीं रै। हमुन बी आज मणिमैस ही राण छौ, जु कुळ द्वी-ढै किळोमीटर रै ह्वोळु, त हम बी पोड़्यां रयां। पर नौ बजी से पैळी हमुन बाठु पकड़ेळी छौ। ये बाठा मा एक गिळेसियर पार कन्न प्वोड़दु, जु हमारा कैंप बटी आदा-एक किळोमीटर दूर रै ह्वोळु। गिळेसियरै मत्थि बरफ त गौळ गै छै, अर वु आदा किळोमीटरौ इळाकु मोरेन वोळु छो। एक घंटा से बी पैळी हम मणिमैस​ झीळा समणा व्ळी धारम बैठ्यां छा। बैं तरफां झीळ, अर दैं तरफां मणिमैस कैळास​!!! द्येखी य्वी स्वोच्णु छौ कि, कदगै दां बात कन्ना रांदा छा कि मणिमैसै जात्रा कबारि कर सकळा। पर द्येखा जात्रों कु कुछ पता नी होन्दु, कख त स्वोच्णा छा सतोपंथ, अर कख पौंच गयां मणिमैस। सैद इन्ही कबि सतोपंथै जात्रा बी व्हे जाळी। कुंड मा पौंची सबसे पैळी प्यारु न अप्ड़ा गौं का दुकानदारा इख राणौ इन्तजाम करी, अर वेका बाद हम सीदा नहेणु तै। जात्रा का टैम मा ये इळाका ळोग, डंडों मा प्ळास्टिकट ळगै की राण ळैक छप्पर बणांदन, बिछाणु अर ढकेणौ तै कंबळा देंदन, अर एक रातै सौ रुपड़ी। येमा जात्रियुं कु अर यूंकू, द्युं क्वी भळु व्हे जांदू। कम से कम द्वी-ढै हजार ळोग त रात मा रुक ही सकदन इख​।

फेर कुंड मा डुबीकि मारी, द्ययु-बत्ती करे गी। जात्रो टैम छौ त जात्रियुं कु भिबड़ताळु मच्युं छौ। जादातर डुबीकि मारी, पूजा पाठ करी सम्णा कैळासा दरसनुं की आस मा छा। पर बादळूं न त कैळास ढकायुं छौ। यी सब ये सारा मा छा की मौसम खुळी कैळासा दरसन होंवन अर यी वापस बाठा ळगन​। पर हमुम त अबी सैरी स्याम पोड़ीं छै, त ळोदड़ी भोन्नै याद आण ळग्गी। इख खाणै दुकानि नी छै किलै कि अज्क्याळ त भंडारा ळग्यां छा, वु बी एक ना तीन​-तीन। त एक भंडारा मा हमुन बी पोटगी भोरी, अर ठिय्या मा जैकी सीदा कंबळों का पेट​। स्याम पांच बजी बटी मी मत्थि एक जगा मा बैठी कैळासा दरसन कन्नू रयुं। पर फिर बरखा छिटांण ळगी त थ्वोड़ा तौळ मा एक टैंट मा सारु मिळ गी। वुखम प्रमोद अर सतीस बी ऐ गै छा। रुमुक पोण्ण तक वेका भितर बैठी ही कैळास दरसन ह्वोणा रैनी। तौळ भंडारा व्ळा धै ळगै-ळगैकि जात्रियुं तै बुळाणा छा। क्वी बोन्नु समोसे- समोसे, त क्वी पानी-पुरी, त क्वी जळेबी-जळेबी!!! अर इतरी उकाळ चड़ी आयां मनखी तै हौर क्या चयेणु च​। हम बी चा-समोसा खै सकी छा, कि बरखौ झौड़ु ळग्गी, अर हम दुबारा से अप्ड़ी कंबळी का भीतर​। पर नौ बजी दुबारा जीमणु तै पौंच गयां, इबारि खाणु दुस्रा भंडारा मा खये गी।


शिव / मणिमैस कुंड
शिव / मणिमैस कुंड

मणिमैस कैळास​


सबेर उठ त टैम मा ही गै छा पर कळ्यो खै की चळ्यां, त सड़े सात व्हे गै छै। इखम बटी हमुन चण्ण छौ कळां या सुखडळी पास​, जु चार किळोमीटर रै ह्वोळु। ऊंचै च येकी ळगभग ४६२० मीटर। द्वी दिन पैळी हम जोतनु पास चड़ी अयां छा, त या उकाळ जादा नी ळगी अर बाठु बी ठ्यीक छौ। नौ बजी मा हम पास मा छा। येका पैथर जैं घाटी मा हमुन उतन्न छौ, वा भौत ही सुंदर छै। पर येका पैथरौ बाठु खड़ी चट्टाम बटी कट्युं छौ। प्यारु न तौळ हम तै एक झ्वोपड़ी द्यिखै, कि वु जैळ खड्ड च, वुखम एक भंडारू ळग्युं च त खाणु हम तै वुखम खाण, बकी ये बाठा मा हौर कुछ नी। वु द्यिखेण मा त नजीक ळग्णु च​, पर वुख तक जाण मा ३-४ घंटा ळग जाणन। अर हम्तै वुखम पौंचण मा सड़े चार घंटा ळग गैनी। किळै कि उंदार त वा खड़ी छैं ही छै, पर वा घाटी इनी च कि ज्यु बोन्नु छौ कि बस बैठी द्येखणा रा।

द्वी बजी भात​-दाळ ख्येकी इखम बटी ऐथर चळ्यां। जैळखड्ड बटी देवदारा डाळौं कु बोण​ सुरू व्हे जांदू, अर ये बोणा ब्यीच चन्नो बी अप्ड़ु अळग मजा च​। भौत देर तक चन्ना बाद गद्दियुं कु डेरु मिळी, अर वून हम्तै बिना चा पियां नी जाण दे वुखम बटी। प्यारु कु अबी बी कुछ अता-पता नी छौ। चार बज गै छै अर होळी अबी बी ८ किळोमीटर छौ, त हम बाठा ळग गयां। तौळ कळां गौं द्यिखेण ळग्गी, जु अबी बी आदा किळोमीटर रै ह्वोळु। अचणचक प्रमोद न ब्वोळी आज रात इख्खी रुकळा। पर हमुन त पैळ्यी मणिमैस तक पौंचण मा एक दिन जादा ळगायेळी छौ, अर मी यु स्वोचणु छौ कि ये एक हौर दिनै छुट्टी कन मा मरळू। अर आज इख रुक्दां त द्वी दिनै छुट्टी!! प्रमोद अर सतीस तै त छुट्टी चिन्ता नी छै, पर मैकु तै मुस्किळ छै। इळै यु स्वोचे गी कि जाळ्सु पास व्हेकी कांग्ड़ा जाण से बढिया राळू, कि भोळ होळी बटी सीदा चंबा जैकी रातै हरद्वारै बस पकड़े जौ, त ज्वा एक दिनै हौर छुट्टी ळेण पोण्णी छै, वा बी नी ळेण पोड़ळी। त​बारि तक प्यारु बी पौंच गी, अर बरखा बी सुरू व्हे गी। रात राणु तै हमतै गौं का मंदिरै धरमसाला मा एक कमरा मिळ गी।


सुखडळी पासा रस्ता मा
सुखडळी पासा रस्ता मा
सुखडळी पास
कळां की तरफां की घाटी
जैळखड्ड मा जात्रियुं की सेवा मा ळग्यां
गद्दी, जौन बिना चा पिळायां ऐथर नी जाण दे

सबेर गौं बटी जाण ळग्यां त एक भळा मनखी न, चा पिळायां बिना ऐथार नी जाण दे। आज होळी पौंच्द्यु हमारि एक कैळासै जात्रा पूरी होणी छै, अर अबी चार कैळास हौर छन। पर कळां बटी होळी जांदू-जांदू मी य्वी स्वोच्णु रयुं कि अबी एक बार काग्ड़ा बटी चळी, जाल्सु पास व्हेकी दुबारा ये बाठा मणिमैस आण।

कळां गौं का सेब पकड़म बी अबी टैम च​
कळां गौं 
कळां गौं बटी होळी कु रस्ता
 होळी
उपारळी तिअरी,

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9 Comments

  1. अति सुंदर👌, तेरी कहानी प्रस्तुति की वजह से मिन भी महादेव का दर्शन करयेलिनी🙏🌹🌷🙏

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  2. भौत खूब च भै जात्रा वीरतान्त लिक्यू भै ।
    भौत ही बढ़िया सौभाग्य च की मे तै तेरु दगड़ू मिली, ब्लॉग म मेरी खैचि फोटू तै जगा देणू आभार भै।
    हैंका कैलाश यात्रा का इंतजार दगड़ी 🙏💐

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    1. भाग त म्यरा छन जू तुम जना दगड़या छन भै।🙏🏻🙏🏻
      वुन हम सब्युं का भाग एक दूसरा दगड़ी जुड़यां रांदन इलै हम लोग ज्यूँदूजी दगड़ा मा कुछ ना कुछ टैम जरूर रंदा।🙂💐

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  3. अति सुन्दर वर्णन करयु च ,कि मेरु भी मन करणु च तख जाणु कु

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    1. मन कन्न लग्गी त जात्रा बी जरूर व्होली🙏🏻

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