दक्षिणौ कैळास - वेळींगिरी परबत (Kailsh of South - Velliangiri Hills)


हमारा सरीळा सैरा हिस्सा अपड़ा-अपड़ा बाँठौ काम बिना कै ळोभ- ळाळाचा करणा रांदन। पर मजाळ क्या कि ऊँकी ईं निस्बार्थ भक्ति बटि खुस व्हेकि तै हम कबि प्यार से ऊँका बाराम सोचाँ अर ऊँकी तरफां द्येख बि ळ्याँ। अर जै दिन इन व्हे जौ, वे दिन सैद ऊँतै बि ळगु कि भगवान अपड़ा भक्ता गौळा भिंटे गैनी। पर इन होन्दु कख च। इनी निस्बार्थ भक्ति करी बि कदगै दाँ ऊँतै औळणा सुण्ण पोड़दन । ब्वोळ्दन ना कि "हगदारु नि पकडे़, जगदारु पकडे़", इन्ही व्हे बिचारि मेरि युँ खुट्युँ दगड़ी। जगा-जगा ळंण​ग्युँ, ये मन थै बुथ्याणु तै, अर दोस ळगी बिचारि खुट्युँ मा, कि युँमा चकर च​। पर ईद्गा सुण्णा बाद बि आज तक ऊँकी भक्ति मा क्वी कमी नी ह्वे, वु हर टैम तय्यार रांदन सेवा करणु तै।

म्यरा आज तका सैरा बसन्त गढ्वाळ अर उत्तर भारत मा कटे छा, इळै मी हिवाँळा का सात कैळासुँ का बारा मा ही जण्दु छौ। अर जखै जात्रा करणौ ज्यु बि सदानी रै। वुन त पाँच कैळास ही मीन छ्न (कैळास मानसरोवर​, आदि कैळास​, मणिमैस कैळास, श्रीखन्ड कैळास अर किन्नर कैळास। पर अब कुछ जादा ळणगणा व्ळों न यूँमा द्वी कैळास हौर जोड़ येनी, श्री कैलाश अर नीलकंठ कैलाश। पर दक्षिण मा कैळास !!! यु त मिन पैळी बार सूणी छौ। वुन बि जन-जन मी नै-नै जगा घुम्दूं, त कुछ ना कुछ नयु त सुणेंदु ही च​। अर फेर लग्दु सैद मैतै अबि कुछ बि पता नी, इळे हौर नै-नै जगा घुम्णौ ज्यु बोळ्दू।

जबारि बटी मी बंगळौर अयुं, ये ळ्योळा कोरोना न भितर ही ग्वाड़ येळी छौ, अर दिसम्बर आन्दु-आन्दु त खुट्टी बि खज्येण ळग गै छै। अब खज्जी त सैद ये मनै छै, पर दोस त सदानी बिचारि युँ खुटयुँ कु ही गंणेदु। मी जब बि यखुळी बैठ्युँ रांदू छौ त, नीळगिरया पाड़ौं की धै सी सुणेंणी रांदि छै। तबारि तक कोरोना बी कुछ कम व्हे गै छौ, ईळै इन्टरनेट मा ढुँढ़ सुरु व्हे गी। उक्खी कखि प्वोढ़ी "दक्षिणौ कैळास - वेळींगिरी परबत"। युट्युब मा ढ़ूँडी, त तमिळ भासा मा कुछ बीडियो मिन्नी, अर अंग्रेजी मां ळिख्याँ कुछ ब्ळोग बी।

युँ तै पौड़ि ळगी कि दक्षिण भारता ळोग इखै जात्रा भौत पैळी बटी कन्ना छन, अर सैद येकु तै कैळास बि ब्वोळ्दा रै ह्वोळा। पर भ्यारा मनख्युँ तै "दक्षिणौ कैळास" बतै बासुदेव जग्गी (सदगुरु) न। वूँन अपड़ी किताबि "आदियोगी" मा ळ्येखी कि " पुराणा टैम बटी दक्षिणै यौगिक परम्परा मा यूँ पाड़ौं तै दक्षिणौ कैळास ब्वोळ्दन​, अर कैळास किळै ब्वोळ्दन यू बी। मैतै जद्गा बि पता चळी छौ वे हेसाब न, छै पाड़ौं तै पार करी अर आट​ किळोमीटर पैदळ चळी, साताँ पाड़ै धॉर मा चण्ण प्वोड़दू। बाठु घैणा बोणा ब्यीच, खड़ी उक्याळियु च​।


यु डाँडु तमिळनाडु का कोयम्बटुर जिळा मा, नीळगिरी बायोस्फेयर रिजर्व मा आन्दू। ळगभग १७७० मीटरै ऊँचै मा वेळींगिरी पाड़ै धारम एक उडयार च, जैमा सिबळिंग तै संभू का रूप मा पुजे जान्दू। सदगुरु की बणवाईं आदि योगी की मूर्ति की फोटु त सब्युन ही फेसबुक मा द्येख येळी ह्वोळी। वेकु परचार बी वूंन इद्गा कर येळी की कद्गै त अजक्याळ कुळ सेळ्फी ख्यँचणा बाना ही जाणा छन वुख। वेकै नजीक पूंडी गौं का मंदिर​ बटी सुरु होंदी या जात्रा, जू कोयम्बटूर सैर बटी ३० किळोमीटर दूर च। इखै जात्रा १५ फरबरी बटी १५ मै का ब्यीच मा, अर दगड़ा मा हर पूरणमासी रातौ तै बी करे जाँदी। बक्या दिनूँ मा जंगळाता ळोग इख नी जाण देंदन। सीड़ियुँ का सुरु मा हि गेट च जखम वु पुरु समान खुळ्वै कि तै प्ळास्टिक इख्मी निकाळ देंदन, हौर त हौर बोतळौं का भैरौ प्ळास्टिक बी, नम्कीनौ पुड़ा अगर प्ळास्टिकौ च, त नमकीन तै बि एक कागज मा खणै की देंदन। १० से ५० साळा ब्यीचा जनाना ईं जात्रा मा नी जै सक्दन​। पर बैख खूब करदन इखै जात्रा, अर वू बी नाँगी खुट्टियुँ न​। वूँकी जात्रा करदी नाँगी खुट्टियुँ तै द्येखी तै ही मैतै युँ खुट्टियुँ की स्वामी भगति की कदर व्हे साकी, निथार त कद्गै साळ बटी ई सेवा मा ळग्यीं छन अर कबि युँतै मळासणौ खयाळ बी नी आई।

पुंडी, जखम बटी जात्रा सुरू होंदी

रस्ता सुरु बटी ही उक्याळियु च​

इना रस्ता मा बिचारि नाँगी खुट्टियुँ का क्या हाळ होंदा ह्वोळा 

स्वाणी खुट्टी





आदा रस्ता बटी द्येखेंदी आदि योगी की मूर्ती



अज्क्याळ जात्रा कन्न से जादा खुसी होन्दी अगर इनी जगा मा मोबैळौ नेटवर्क मिळ जौ त​

वेळींगिरी परबत





आदियोगी की मूर्ती




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4 Comments

  1. गजब यार तेरा खुट्टियूं कू सादर प्रणाम

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  2. हमुन कब आण भै तब बतै दे भै।

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    1. गूगल अकाउंट बटी लॉगिन करी लिखल्या त मैं बी पता लगलू कु आण चाणू च। फरवरी 2022 मा जै सकदन।

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