होरानाडु (Horanadu)

 Annapurneshwari Temple Horanadu

दक्षिण भारत मा कद्गै देबस्थान छन, जख जाणु तै हमारा देसा हर एक कुणा बटी हिन्दू धरमा ळोग जात्रा कन्नू तै आंदन​। पर कद्गै जगा इन बी छन, जौंका बारा मा भ्यारा ळोग कम जण्दन। इन्नी एक जगा च होरानाडु, जख सैरा कर्नाटका ळोग दरसनूं कन्नू तै आंदन। मिन बी कबी नी सूणी छौ, त मैतै बी इखा बाराम कुछ पता नी छौ। पर कुछ जगा इन होंदन, जख हमारा पुराणा संस्कार हम्तै अफी ल्ही जांदन। २५ दिसम्बरा टैम मा तीन दिनै छुट्टी छै, त मेरु ज्यु करी कि श्रंगेरी मठ ह्वेकी ऐजौं। छव्टा भुळा दग्ड़ी बात व्हे त वेन छुट्दी ब्वोळी, श्रंगेरी जाण त होरानाडु जरुर जै, अन्नपूर्णेश्वरी माता कु मंदिर च वुख​। गुगळ मैप मा द्येखी त बासठ किळोमीटर छौ वु, पर क्वी सीदी बस नी दिखे वुखौ तै, त मिन स्वोची छोड़ ना, कख भगणु राण इनै-वुनै, श्रंगेरी मा ही रौळु दिन भर।

सबेर पांच बजी श्रंगेरी पौंच्युं, होटळ मा कमरा ळे, अर नहे-धुये की पौंच गयुं मंदिर​। जादा भीड़ नी छै, दरसन करनी अर ळगभग एक-डेड़ घंटा बैठ्युं रयुं। फेर पता नी क्या व्हे, उठी तै बस अड्डा बाठा ळग गयुं। एक प्रावेट बस जाणी छै वे तै होरानाडु की बस पुछी त वेन हत्त खींची कि औ, रस्ता मा वुनै कि बस मा बैठै द्योळु। आदा घंटा मा एक छ्वोटी सी जगा मा वेन उतारी, अर सम्णा होरानाडु कु तै ळगीं बस दिखै दे। त इन मा पौंच्यु मी होरानाडु।

होरानाडु, कर्नाटका चिकमंगळूर जिळा मा, छै-सात सौ मवासौं कु गौं च​। इख आणु तै बंगळौर (३१५ किमी), मंगळूर (१२५ किमी), उडपी(१०० किमी), चिकमंगळूर (१२५ किमी) बटी सीदी बस मिळ जांदन। श्रंगेरी बटी यु ६५ किळोमीटर च​, अर श्रंगेरी बटी बी आराम से इख जाये जै सकेंदू। इखम भद्रा नद्यी का किंडारा मा, अन्नपूर्णेश्वरी माता कु मंदिर च​। अन्नपूर्णा माता त हमारा इख बी पूजे जांदी पर काहनी मैतै इख पता चळी। एक बार सिबजी अर पार्वती माता आपस मा पासौं कु खेळ खेन्न बैठ गैनी। ये खेळम सिबजी न जीतणु तै अप्ड़ु सब्बी कुछ दौं मा ळगै दे, त्रिसूळ बी, पर आखिर मा सब हार गैनी। अप्ड़ी चीजूं तै वापस पाणु तै वून, बिष्णु जी मा मदद मांगी। अर फेर वून अप्ड़ी सब्बी चीज वापस जीत देनी, किळै कि पासा कुळ सिबजी का ही आणा छा। माता तै ळग गी कि, यी बिष्णु जी दगड़ी मिळी तै बेमानी कन्ना छन। त बिष्णु जी न वुंतै ब्वोळी कि ई जू चाळ छै यु तै केबळ एक भरम छन​, अर सिबजी न ब्वोळी की ईं दुन्या मा जू बी चीज छन, सब भरम छन, हम जू खाणु खाणा छां, यू बी।

सिबजी की युं बत्तूं न माता तै भौत गुस्सा ऐ, अर वुंतै यु बताणु तै कि खाणु भरम नी च, मा वुखम बटी अंतर्ध्यान व्हेगी। माता का ळापता होणा का बाद ईं सैरी पिरथी की डाळी-बोटी सब सूख गैनी, अर चर्री तरफां अकाळ प्वोड़ गी, सब ळोग भूखन मोन्न बैठ गैनी। अर देप्ता, मनखी, रागस सब वुंतै वापस बुळाणु तै पूजा कन्न ळग गैनी। माँ अप्ड़ा नौना-बाळौं तै कबि भूक न मोरदू द्येख सक्दी क्या!!! वापस ऐगी। सिबजी तै बी अप्ड़ी गळ्ती मैसूस व्हे, अर वु बी एक कटोरा ळ्हेकी माँ मा भिक्षा मगण ळग गैनी। ये मंदिर मा आण व्ळों कु तै तीन टैम खाणु बण्दू, अर इख आण व्ळा बी दरसना बाद प्रसाद खांदू-खांदू बी बस मां तै ही याद कन्ना रांदन।

मणे जांदू कि, आठीं सताब्दी मा अगस्त्य ऋिषि न इखम देबी की मुर्ति स्थापित करी छै। आज से चार सौ साळ पैळी बटी, एक परिवारा ळोग ये मंदिरै देखभाळ, अर पूजा कन्न ळग गैनी। ये मंदिर तै वून ठीक करी अर बड़ु बी बण्वै। १९७३ मा अक्षय तृतीया दिन​, जू की माँ कू जळमबारौ दिन बी मणाये जांदू, देबी की मूर्ती दुबारा से स्थापित करे गी। अक्षय तृतीया दिन इखौ त्योआर मणांये जांदू। फरबरी मा पांच दिनौ रथ उत्सव अर नवरात्रि का नौ दिन बी इख धूमधाम से मणाये जांदन​। बासा राणु तै इख मंदिर समीति का द्वी ळोज बणायां छन अर गौं मा होम स्टे बी मिळ जांदन। मौसम इख सैरा साळ भर गरम ही रांदू, मैतै दिसम्बर आखिरी मा बी घाम मा जांद्वी पसिन्या आणु छौ। फिर बी नवम्बर बटी फरवरी तक इख मौसम ठीक रांदू। 
अज्क्याळा जादातर तीरथ त घुमणै जगा बण गैनी पर इख ऐकी तै ळग्दू च सची मा एक जात्रा व्हे गी।

Horanadu

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1 Comments

  1. वाह भै बहुत सुंदर जानकारी उत्तर भारत का लोगू कु तै।

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