रूड़ियूँ का दिन आन्दू ही डांडी काठियूं कु ह्युं गलण बैठ जांदू अर इ पहाड़ एक नयु सी प्राण लेकि दुबरा से ज्वान होण बैठ जांदन, अर दगड़ा मा ही खुन्न लग जांदन गढवाला देवस्थलूँ का द्वार । यूमा सबसे बिंडी लोग त दर्शन करदन बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री अर यमुनोत्री का, और थोड़ा जादा जण्ण वोला लोग दर्शन करदन पंच बद्री, पंच केदार अर पंच प्रयागा । पंच केदार में से एक च रुद्रनाथ जैथै चौथा केदार नौ से जणे जांदू । रुद्रनाथ एक पुण्य तीर्थ च, केदारखंडम शिव जी बोल्दन कि, देप्तों तै भी दुर्लभ और गुप्त ईं जगा तै मि कभी नी छोड़दूँ, ईंका बारम सूणी तै क्वी भी अपणा सब्बी पापों से मुक्त व्हे जांदू ।
पाप त कुजणी कम होंदन कि ना, पर ईं पूरी यात्राम वीं परम शक्ति कु अहसास जरूर होन्दु, मन तै शांति भी मिलदी अर दगड़ा मा होंदन हिमालय की खूबसूरती का दर्शन । रुद्रनाथ जाणु तै एक तीर्थयात्री ही होणु जरुरी नी च, ट्रैकिंग का शौकीन लोगुं कु तै भी येमा पूरू मजा च । रुद्रनाथ पौंछणु तै कम से कम १८ किलोमीटरै पैदल जात्रा कन्न पोड़दी । इख पौंछणा तीन बाठा छन, पैलु सगर व्हे की १८ किमी, पट खुन्न मा रुद्रनाथ जी की डोली भी येई बाठा जांदी, दुसरु बाठू च मंडल बटी २२ किमी, अनसूया देवी व्हे की, अर तीसरु उर्गम बटी लगभग ३६ किमी । अर फोटोग्राफरूं कु त यु स्वर्ग च । घैणा जन्नगला बीचौ रस्ता, सुन्दर झरना, बुग्याल, फूल, मोनाल, घ्वेड़ अर हिमाली कांठी जैमा मुख्य छन नंदा देवी, नंदा खत, दोर्णागिरि, चौखम्बा, चंगबंग, कालंका । सब्बी कुछ च जू एक प्रकृति प्रेमी तै चयेणु च, त ऐ जावा आप भी ।
ऋषिकेश बटी २०० किमी दूर बद्रीनाथ जाण वाली सड़क मा आंदू चमोली,अर इख बटी अलकनंदा पुल पार करी सड़क जांदी गोपेश्वर, जू चमोली जिला कु मुख्यालय च । छोटू सी बाजार च इख, बस स्टेशन बटी गोपीनाथ मंदिर तक, लेकिन बढ़िया, सब्बी धाणी मिल जदन | पैली गोपेश्वर गौं का कूड़ा मंदिरा आस पास ही छा पर अब यु एक क़स्बा बण गी । लगभग दस हज़ार मावसा रांदन इख, अर नगर पालिका परिषद भी च, स्कूल डिग्री कॉलेज तक च, राणू तै होटल भी खूब छन, पर ज्यादा ठीक च कि रात मा सगर ही रुके जाउ । गोपेश्वर बटी ३ किमी मंडल वोली सड़क मा च सगर गौं । रुद्रनाथो तै सगरौ बाठू ही सबसे जादा चल्दु , इख रात रूकणु तै पांच सात होटल भी छन अर बिन्सरीम ठंडा ठंडा मा ट्रैक सुरु व्हे जाउ त वे से बढ़िया हौर क्या च ।
सगर बटी तीन किमी बाद आंदू पुंग, जंगल का बीच म छोटू सी बुग्याल च, रात राण-खाणु तै एक दुकान भी च, येका बाद पनार तक छै किमी खड़ी उकाल च | पुंग बुग्याल पार करदु ही घैणा जन्नगला बीच म च रस्ता | ये घनघोर जंगल मा जानवर भी छन, अगर सगर बटी देर मा चल्यां त, तेज चली तै मोली खरक पहुंचणु जरुरी च। पर इथा सौंगु भी नी च, पुंग बटी मोली की उकाल सैरु खयूँ पीयूँ घ्यू तेल भैर निकाल देन्दी । ये जंगल मा बण बण्या चखुळ्या भी छन, अर यूँ चखुळ्यौं की आवाजो संगीत, बस नी पूछा, वुक्खी जैकी सूणा । चार किमी बाद आंदू मोली खरक, सुन्दर जगा च, थक ग्यॉं त इखम थौ खै ल्या अर दगड़ा म भात दाल भी । बिंडी देर व्हे गी त रात रुक भी सकदां, दस बीस लोगुँ का राण लैक जगा छैंच मोली मा। मोली बटी एक किमी म च ल्वीटी, जंगल अब पैथर छुट्ण बैठ जंदन अर ऐथर डाळा भी छोटा होण बैठ जंदन, ल्वीटी म भी एक दुकान च रात राण-खाणु तै । ल्वीटी बटी पनार केवल एक किमी च पर ईनी उकाल कि हे बबा, छत्ती फटण बैठ जांदी । ये एक किमी चन्न मा एक घंटा लग जांदू | पर एक बार पनार पौंच जा त बस सैरी थक दूर ।
ऋषिकेश बटी २०० किमी दूर बद्रीनाथ जाण वाली सड़क मा आंदू चमोली,अर इख बटी अलकनंदा पुल पार करी सड़क जांदी गोपेश्वर, जू चमोली जिला कु मुख्यालय च । छोटू सी बाजार च इख, बस स्टेशन बटी गोपीनाथ मंदिर तक, लेकिन बढ़िया, सब्बी धाणी मिल जदन | पैली गोपेश्वर गौं का कूड़ा मंदिरा आस पास ही छा पर अब यु एक क़स्बा बण गी । लगभग दस हज़ार मावसा रांदन इख, अर नगर पालिका परिषद भी च, स्कूल डिग्री कॉलेज तक च, राणू तै होटल भी खूब छन, पर ज्यादा ठीक च कि रात मा सगर ही रुके जाउ । गोपेश्वर बटी ३ किमी मंडल वोली सड़क मा च सगर गौं । रुद्रनाथो तै सगरौ बाठू ही सबसे जादा चल्दु , इख रात रूकणु तै पांच सात होटल भी छन अर बिन्सरीम ठंडा ठंडा मा ट्रैक सुरु व्हे जाउ त वे से बढ़िया हौर क्या च ।
गोपेश्वर, फोटो सितंबर २०१६
सगर गौं मा खेती करदी एक औरत, फोटो मई २०१८
सगर पचास साठ मवसौं कु गौं च, गोपेश्वर नगर पालिका मा होण पर भी पूरू गढ़वाली गौं कु माहौल मिल जांदू इख, गौं बटी ही उकाल शुरू व्हे जांदी | शुरू मा बाठु गौं अर गौं का पुंगड़ों क बीच बटी, फिर डेढ़ किमी बाद जंगल शुरू । मि अब तक तीन बार ( मई, सितबंर और अक्टूबर) ये बाठा रुद्रनाथ चल ग्यों और सबसे बढ़िया मौसम लगी सितबंरो किलै कि बरखा बाद चर्रि ओर हरयूं भरयूं रांदू, गदनौं मा भी खूब पाणी रान्दु त झरना भी बढ़िया दिख़ेंदन, धारम बटी साफ़ हिमाली डांडी कांठी अर तौळ घाटियों का मत्थी बादळ अहा ।
सगर बटी तीन किमी बाद आंदू पुंग, जंगल का बीच म छोटू सी बुग्याल च, रात राण-खाणु तै एक दुकान भी च, येका बाद पनार तक छै किमी खड़ी उकाल च | पुंग बुग्याल पार करदु ही घैणा जन्नगला बीच म च रस्ता | ये घनघोर जंगल मा जानवर भी छन, अगर सगर बटी देर मा चल्यां त, तेज चली तै मोली खरक पहुंचणु जरुरी च। पर इथा सौंगु भी नी च, पुंग बटी मोली की उकाल सैरु खयूँ पीयूँ घ्यू तेल भैर निकाल देन्दी । ये जंगल मा बण बण्या चखुळ्या भी छन, अर यूँ चखुळ्यौं की आवाजो संगीत, बस नी पूछा, वुक्खी जैकी सूणा । चार किमी बाद आंदू मोली खरक, सुन्दर जगा च, थक ग्यॉं त इखम थौ खै ल्या अर दगड़ा म भात दाल भी । बिंडी देर व्हे गी त रात रुक भी सकदां, दस बीस लोगुँ का राण लैक जगा छैंच मोली मा। मोली बटी एक किमी म च ल्वीटी, जंगल अब पैथर छुट्ण बैठ जंदन अर ऐथर डाळा भी छोटा होण बैठ जंदन, ल्वीटी म भी एक दुकान च रात राण-खाणु तै । ल्वीटी बटी पनार केवल एक किमी च पर ईनी उकाल कि हे बबा, छत्ती फटण बैठ जांदी । ये एक किमी चन्न मा एक घंटा लग जांदू | पर एक बार पनार पौंच जा त बस सैरी थक दूर ।
बस्ग्याला बादो पानी ये रस्ता तै हौर सुन्दर बणै देन्दू, फोटो सितम्बर २०१६
पुंग बुग्याल, फोटो अक्टूबर २०११
बस्ग्याला बादो पानी ये रस्ता तै हौर सुन्दर बणै देन्दू, फोटो सितम्बर २०१६
बस्ग्याला बादो पानी ये रस्ता तै हौर सुन्दर बणै देन्दू, फोटो सितम्बर २०१६
पुंग मोळी का बीच जन्ग्गलो रस्ता, फोटो सितम्बर २०१६
मोळी खरक, फोटो सितम्बर २०१६
ल्वीटी बुग्याल, फोटो सितम्बर २०१६
लगभग ग्यारा हज़ार फ़ीटै ऊंचाई मा एक खूबसूरत हिमालयी बुग्याल च पनार । रात राण-खाणु तै भी पूरू इंतज़ाम च इख । तीस चालीस लोग रुक सकदन आराम से । अगस्त- सितंबर मा ये पूरा बुग्याल मा फूल रांदन, अर इख बटी हिमालय भी भौत बढ़िया दिखेंदु, खासकर द्रोणागिरी । घाम आणा अर असलेणा टैम मा ई हिमाली काँठी सुनै सी लगदन । अगर जल्दी नी च त इख एक रात जरूर रुका । पनार बटी उकाल थोड़ा कम व्हे जांदी पर पितृधर तक अभी उकाल च, पितृधर इख बटी चार किमी च । पनार बटी एक किमी बाद रस्ता का द्वी ओर बड़ा बड़ा डांग छन जैमा आपते मोनाल भी दिखै जाला, हमरु उत्तराखंड कु राज्य पक्षी । पितृधारम पौंछी तै बड़ू आराम आंदू, किलै कि येका बाद रस्ता पूरू उदांरौ दिखेंदु । इख बटी द्वी किमी बाद च पंचगंगा, एक खूबसूरत बुग्याल | इखम बटी एक रस्ता च नौला पासो तै च, जै बाठा अनसूया देवी व्हेकी मंडल पहुंचे जांदू, जू लगभग इख बटी उन्नीस किमी च । इखम भी रात राण-खाणो पूरू इंतज़ाम च, पंदरा बीस लोग रातम रुक सकदन । इख बटी नंदा देवी, चंगबंग और कालंका भौत सुन्दर दिखेंदन।
पनार बुग्याल, फोटो सितम्बर २०१६
पनार बुग्याल, फोटो सितम्बर २०१६
पनार बुग्याल बटी अलकनंदा नदी घाटी कु दृश्य, फोटो सितम्बर २०१६
पनार बुग्याल, फोटो सितम्बर २०१६
पनार बुग्याल बटी द्रोणागिरी पर्वत का दर्शन, फोटो अक्टूबर २०११
पनार - पितृधारा बीच, फोटो सितम्बर २०१६
पितृधार, फोटो सितम्बर २०१६
पंचगंगा, ईख ढाण्डू अर ह्युं कभी भी पोड़ सकदु, फोटो मई २०१८
पंचगंगा बटी द्रोणागिरी, चंगबंग, कालंका पर्वतों का दर्शन, फोटो अक्टूबर २०११
पंचगंगा बटी रुद्रनाथ तीन किमी च, थोड़ा भौत उकाल पर ज्यादातर उदांर च, द्वी किमी बाद च देवदर्शनी, जख बटी रुद्रनाथ जी का पैला और एक अलौकिक संसारा दर्शन होंदन । ये रस्ता मा काफी फूल छन पर फूल केवल बस्ग्याला टैम मा ही रांदन । पैली नारद कुंड, फिर एक रैन बसेरा, कुछ झोपड़ीनुमा धर्मशाला और फिर आखिर मा मंदिर, एकदम शांत जगा । मंदिरा चौक बटी समणी एक लम्बी हिमाली श्रृंखला जैमा नंदा देवी रेंज की सब्बी चोटी छन, बस केवल बैठी देखणौ मन कन्नू रांदू ।
रुद्रनाथ मंदिर मा एक बड़ा उड़्यार मा मुखरूपी शिवलिंग च, ये गर्भगृह मा केवल पुजारी ही जै सकदन । उड़्यारा भैर बटी एक कमरा बंडयूं जैमा यात्री लोग बैठी दर्शन व पूजा करदन | मंदिर मा सुबेर शाम पूजा होंदी, सुबेर सात बजी बटी पैली श्रृंगार फिर पूजा हवन होंदू और श्यामौ तै सात बजी बटी पूजा और आरती होंदी जैमा आप भी शामिल व्हे सकदां । मंदिरा पुजारी गोपेश्वर गौं का भट्ट व तिवारी लोग छन । शिवलिंग एक तरफां थोड़ा झुकयूँ च, इन लगदु जन भोलेनाथ अपणा आण वोला भक्तों तै देखणा छन । भीतर बाबा का और भैर वेकी बणई प्रकृति का दर्शन, उठणा कु ज्यू नी बोल्दू इख बैठी । घाम आणा अर अछलेणा टैम मा अद्भुत च ईख बटी हिमालय दर्शन ।
ईख राण खाणु तै एक होटल च, होटल क्या छानी च बस सेणु तै बिस्तर अर द्वी टैमो खाणु मिल जांदू | पुजारी जी बटी भी कम्बल मिल जान्दन अर कै भी धर्मशालाम से सकदां तुम । अगर ज्युनली राता दिनों म अयाँ छाँ त रात द्वी तीन बजी म भैर जरूर अयाँ, फिर बतायां क्या दिखे अर कन लगी ।
रुद्रनाथ मंदिर मा एक बड़ा उड़्यार मा मुखरूपी शिवलिंग च, ये गर्भगृह मा केवल पुजारी ही जै सकदन । उड़्यारा भैर बटी एक कमरा बंडयूं जैमा यात्री लोग बैठी दर्शन व पूजा करदन | मंदिर मा सुबेर शाम पूजा होंदी, सुबेर सात बजी बटी पैली श्रृंगार फिर पूजा हवन होंदू और श्यामौ तै सात बजी बटी पूजा और आरती होंदी जैमा आप भी शामिल व्हे सकदां । मंदिरा पुजारी गोपेश्वर गौं का भट्ट व तिवारी लोग छन । शिवलिंग एक तरफां थोड़ा झुकयूँ च, इन लगदु जन भोलेनाथ अपणा आण वोला भक्तों तै देखणा छन । भीतर बाबा का और भैर वेकी बणई प्रकृति का दर्शन, उठणा कु ज्यू नी बोल्दू इख बैठी । घाम आणा अर अछलेणा टैम मा अद्भुत च ईख बटी हिमालय दर्शन ।
ईख राण खाणु तै एक होटल च, होटल क्या छानी च बस सेणु तै बिस्तर अर द्वी टैमो खाणु मिल जांदू | पुजारी जी बटी भी कम्बल मिल जान्दन अर कै भी धर्मशालाम से सकदां तुम । अगर ज्युनली राता दिनों म अयाँ छाँ त रात द्वी तीन बजी म भैर जरूर अयाँ, फिर बतायां क्या दिखे अर कन लगी ।
देवदर्शनी, ईखम बटी रुद्रनाथ जी का पैला दर्शन होंदन, फोटो सितम्बर २०१६
रुद्रनाथ जी, फोटो सितम्बर २०१६
पुजारी हरीश भट्ट जी दगडी एक यादगार, फोटो मई २०१८
रुद्रनाथ बटी घाम आण से पैली, फोटो सितम्बर २०१६
रुद्रनाथ बटी घाम आण से पैली, फोटो सितम्बर २०१६
रुद्रनाथ बटी सूर्योदय कु दृशय, फोटो अक्टूबर २०११
रुद्रनाथ बटी सूर्योदय कु दृशय, फोटो सितम्बर २०१६
रुद्रनाथ चौक बटी, सुबेर पूजा का बाद, फोटो सितम्बर २०१६
2 Comments
Shandar.... khubsurat....
ReplyDeleteDhanyavaad bhai
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