“कागभुसुन्डि ताळ” जख जैकी कव्वा सरीळ छोडदन!!! (Kagbhusundi Tal a Sacred Lake in Garhwal Himalayal)

कागभुसुन्डि, मतलब कागा !! इदगै जणदु छौ मि पैली। पर जब थ्वडा सि पौड़ि त पता चली कि, कै जमाना मा अयोध्या मा एक बिदबान​ बामण रान्दा छा, जु कि सगुण बर्ह्म का उपासक छा, अर राम जी का भगत। बस लग्याँ रान्दा छा, राम, राम, राम राम……. एक बार लोमेस रिसि, जु कि निरगुण बर्ह्म का उपासक छा, अयोध्या मा निरगुण बर्ह्म मा उपदेस देणा छा। ऊँ बिदबान​ बामण, अर लोमेस रिसि मा सगुण अर निरगुण बर्ह्म मा बाद-बिबाद ह्वेगी। अब रिसि दगड़ि क्वी जबान चलाउ, अर रिसि न गुस्सा म साप नि दे, त फेर वु रिसि क्यांका। बस, बणै दे वूँतै कागा ! युंतै हि कागभुसुन्डि का नौ से जणे गी। बोल्दन कि कव्वा बण्णा बाद बि वु राम जी कि भगति मा हि रम्यां रांदा छा, अर ये ताळा किंडारा बैठी तै राम कथा सुणांदा छा, इळै ये ताळौ नौ कागभुसुण्डि ताळ पोड़ि। 

ईं जगा दगड़ि एक हौर काहनि जुडीं च​। हमारि कथावुँ मा राम कथा सुणाणौ बरणन तीन जगा मिल्दु। एक सिबजी कु पारबति जी तै, दुसरु कागभुसुन्डि जी कु गरूड़ जी तै, अर तिसरू तुलसीदास जी कु अपड़ा मन तै सुणाणौ, जब वूँन रामचरित मानस लिखी छै। बोल्दन कि एक बार पारबति जी कि तरौं गरुड़ जी तै बि, राम जी का अबतार होण मा सक व्हे। त पैली वु बरमा जी मा पुछणु गैनी, पर बरमा जी न वुँतै सिबजी मा भेज दे, अर सिबजी न कागभुसुण्डि जी मा। कागभुसुण्डि जी न ये ताळा किंडारा हि गरुड़ जी तै राम कथा सुणै, अर भक्ति योग कु ग्यान दे। 

इन बि ब्वोळे जांदू कि मोन्न से पैली अप्ड़ा सरीळ छोडनू तै कोव्वा इख ऐ जांदन, इलै कुछ ळोग येतै पग्छी तीरथ बि ब्वोल्दन।

यु ताळ समुद्रतळ बटि ळगभग ४४०० मीटरै उँचै मा च, अर साला नौ मैना, ह्युं न ढक्युं रांदू। इखै जात्रा जून बटि सितम्बरा मैना मा होन्दि । इख प्वंछ्णा द्वी बाठा छन, एक गोविन्द घाट बटि भ्यूँडार व्हेकी, त दुसरू पैंका गौं बटी। पैंका गौं बटि खड़ी उकाल च अर पाणि कि भौत कमी च, इलै जादातर लोग भ्यूँडारा बाठा हि जांदन। द्वी तरफां बटि ताळ लगभग ३० किमी दूर च​। जादातर ळोग गोविन्द घाट बटि चढ़ी, पैंकै रस्ता उत्रदन।

ये ताळै फोटु मिन लगभग २० साल पैली गढवाळ मंडळा एक पंपलेट मा देखी छै, बस तबारि बटि स्वोच येली छौ कि इखै जात्रा जरूर कन्न। यूं बीस सालूं मा कद्गै दां स्वोची पर जात्रा कर सक्यूं सितम्बर २०१७ मा। १ १ सितम्बर २०१७, मि सबेर सडे़ ग्यारा बजि भ्युँडार पौन्च गै छौ, जखम मेरा हौर दगड़्या मिन्न व्ला छा। दरसल मि त हफ्ता भर बटि लणगुणु छौ। इबारि मेरि जात्रा क्ल्पेस्वर बटि सुरु व्हे, फेर​ ध्यान बदरि अर योगध्यान बदरि जी का दरसन दगड़ि मिन अपड़ि पन्च केदार, पन्च बदरि यात्रा पुरी करी। अर पिछला तीन दिन बटि मि घांगरिया मा छौ, जख बटि मिन हेमकुन्ड साब अर फुळूं की घाटी की यात्रा करी छै।

घांगरिया मा केबल बी एस ​एन ​एळौ नेटबर्क छौ। पर इद्गा सौलियत छैंछै कि दुकानदारुं का फोन बटि पीसीऔ की तरौं बात व्हे सक्दी छै। सबेर नौ बजिम प्रमोद दगड़ी बात व्हे, अर वु लोग बिस्णुपरयाग पौन्च गै छा। दस बजिम, मिन बि अपड़ी झौळ्ळी- तोमड़ी उठै अर लग ग्यों भ्युंडारा बाठा। उन त घांगरिया बटि भ्युंडार छै किलोमीटर च, पर उंदारियु कु बाठु च इळै मठु-मठु चळी तै बि डेड़-एक​ घंटा म पौंचे जांदू । अजक्याळूं जात्रौ टैम च, त भ्युंडारम अबि चैळ-पैळ खूब च। जादातर पंजबि छ्न, जु हेमकुंड साबै जात्रा म जाणा छ्न​। कुछ- कुछ फुळूं की घाटी व्ळा बि छ्न​, पर भौत कम​।

एक-डेड़ घंटा त दुकानि मा बैठ्यां-बैठ्यां मैगी अर परांठा खैकि, यात्रियूं देखदू-देखदू कटे गी पर वेका बाद उक्ताट होण लग्गी। किलै कि जादा देर होळि त आज इक्खि रुक्ण पौण्ण। पर ढै बजि तक सब्बि ऐ गै छा। फेर दुकानदारुं तै ऐथरा बाठा बारा मा पुछी, त वून छुट्द्वि बोळि, चौथु गुरुप च यू, तीन त ये साल अबि तक​ वापस ऐ गैनी आदा रस्ता बटि!! इद्गा सुण्द्वी, हम सब्बि एक दुसरै मुखड़ि देखण लग ग्यां। पर उबारि वुखम एक बखरा वोळु अयुं छौ, जैका बखरा डांग खड़का नजीक​ छा। वेन बोळि अब डांग खड़क म थ्वड़ा सी बाठु बण गी इलै अब ऐथार जये जै सक्दू च​। तबारि तक तीन बज गै छा, पर भ्युंडारम राण से त ठीक छौ कि ऐथर जैये जावु, इलै हमुन बि ऐथरौ बाठु पकड़ि।

भ्युंडार बटि लक्ष्मण गंगा पार करद्यि घांगरिया व्ळु बाठु छौडि, दैं हत्तौ तै हाथी-घोड़ी परबत​ बटि औण​ व्ळी नदी की तरफां कु बाठु पकड़ी। पर यु बाठु सौ-एक फळांगा बाद हि गैब व्हे गी। अर फेर कुचये गि ये सरीळ तै बुज्येळौं का ब्यीच​। एक त घैणु जंगळ, ऐन्च बटि बस्ग्याळा बादौ झाड़-झंखाड़, बस इद्गै सम्जेणु छौ कि आँखि नि खचुरेवुन​, बकि त दिक्खे जाळि। मेरि जाण जंगळातन बि कै जमाना मा बणै रै होळु यु बाठु। सैद हर साल पैंसा बि नि आंदु हो इखौ तै। अर बाठु त अफि बि बण जांदु, अगर मनखी चन्ना रावन त​, पर इख त लोग बि गिण्त्या आंदन। ईं जात्रा मा जाण व्लों कु तै मेरि सला च कि, भ्युंडार, जोशिमठ या त​ पैंका गौं बटि अफ दगड़ि गाइड-पोर्टेर जरूर ळ्हिजा। अर सबसे जादा जरुरी छन​, जोशीमठ बटि जंगळाता कागज। किलै कि यु ताळ नंदा देवी सैंचुरी मा पोड़दु, जैमा जंगळाता कागज बणायां बिना जाणौ मतळब च चोरी। अर अगर जंगळात व्ळों न पक्ड़ी, त फेर उँकी मरजि, वु जंगळी जान्वरुं का सिकारम बंद करन, ‍चा जड़ि-बुटियुं कि चोरिम।

भ्युंडारम बटि चळ्यां अबि एक घंटा बि नि व्हे रै होळु कि, बिक्रमन जँग्गळा ब्यीच म एक थ्वड़ा सि खुल्लि जगा द्येख्द्यु ब्वोलि। आज इखमि रुक जंदा साब, इखम टैंट लगाणै जगा बि च, अर पाणी बि नजीक च​। येका बाद कैम्प सैट​ भौत दूर च, अर जँग्गळम रात पोण्णा बाद चन्न मा दिक्क्त च​। अबि त टैम भौत छौ, इळै मिन प्रमोदै तरफां देखि। चन्न त वु बि चाणु छौ पर पैळा-पैळा दिन जादा जिद ठीक नि छै, इळै हमुन बि अप्ड़ा झोळ्ळा बिसै देनी। ईं जात्रा मा हम कुळ्ळ आठ मनखी छा, पांच जात्री अर तीन जात्रा करौण व्ळा। जात्रा करौण व्ळों मा, मीन आदिम छौ बिक्रम (बिक्कू)। उमर रै व्हेलि ३८-४० साळ, एकदम सुक्यां गन्नो डंडा सी, पर छौ करकुरु। छौ त वु गाइड अर कुक, पर समान वेकु अप्ड़ा दगड़्यों का बराबर हि उठायुँ छौ। इनै टैंट ळगांद्यि वेन, स्टोब बि घुरकै दे, किलै कि टैमम खये अर सिये जौ, त सबेर ठ्यीक​ टैमम ऐथरौ चले जै सक्दु। दुस्रा छा राणा जी, हम मा सबसे बुड्या, मेरि जाण साठ त पुराये रै व्होळा वून। पाणि ळ्हाणु तै उठनि त बबड़ैनी- 

अरेऽऽऽ पाण्यु भांडु त ळ्है हि नि छां हम! 

तन्नि बिक्रमन बि ब्वोलि, क्वी बात नी बजार तख्मी च यु दीपक ळ्है जाळु, हौर समान द्येखा क्या-क्या छुट्युं च​। तीसरु छौ दीपक​, हम मा सबसे छव्टु। ज्वानि अबि पूरी बि नि ऐ छै वैपर, रै व्होळु सत्रेकौ। कंट्टरा अलावा माचिस बि लै जै रे बिक्रमन ब्वोळि, इद्गा ब्वोल्द्यु दीपक बि भ्युंडारै तरफां इन दनकी जन​, ज्वान घ्वोड़ा मा नै नै नाळ ठ्वोकिं हो।

भ्युँडारा बादौ बाठु

भ्युँडारा बादौ बाठु
जंगळ कैम्प सैट
जंगळ कैम्प सैट

हम पंच्ची छा त पुराणा दग्ड़्या, पर दग्ड़म भौत जादा जात्रा नि करीं छैं। प्रमोद अर मि त हर साळ दग्ड़ी कखि न कखि पैदळ जात्राम​ जंदां, पर हौर्युं दगड़ि मि कम ई चळ्युं छौं। थानेश्वर बुडोला (थन्ना ) दग्ड़ि बि कुछ​ जात्रा ह्वे गैनि पर छव्टि-छव्टि। यां से पैली हमारि दग्ड़म आखिरि जात्रा जनवरी २०१६ म केदारकांठै छै। अच्छु च्ळदरु च वु, गढ्वाळम पंच्चि केदार​, हेमकुंड साब​, फुलुं कि घाटि, दयारा, केदारकांठा, हर की दून सब्बि जगा गयुं च वु। हौर त हौर द्वी बार नंदा देबी राजजात (२०००, २०१४) बि करीं च वेकी। पर हम पंच्युं की अबि तक​ दग्ड़िम​ कुल्ल एक बड़ि जात्रा छै, वा छै २०१४ मा नंदा देबी राजजात​। हिवाँळै मा ७-८ दिनै वा जात्रा इद्गा कठिन च, कि वीं जात्रा कन्ना बाद​ आदिम कख्खि बि जाणु तय्यार व्हे जालू। राकेश रावत​ (बंटी) दग्ड़ि पैळी बार वीं जात्राम हि भेंट व्हे छै। वु अर थन्ना दग्ड़ि काम करदन​। वेका चन्ना बाराम मैतै जादा पता नी च​, पर २०१४ मा जन वेन राजजात पूरी करी छै, वां से ळग्दु छौ कि जरुर वेकि बि खूब जात्रा करीं छन। पांच्वुँ छौ नफ़ीस​, वे दग्ड़ि कौळेजा दिनूं कु दग्ड़ू छौ, पर चळी मि वे दग्ड़ि बि नि छौ। लगभग १८ साळ बाद वे दग्ड़ी राजजात मा हि मुळाकात व्हे छै। वीं जात्रा मा हि पता चली कि वु बि हिमालै मा कदगै जात्रों मा गयुं छौ, जेमा धुमघार काँडी दर्रा बि च​। लगभग ५५०० मीटरै ऊँचै व्ळु, गंगा अर सुपिन घाटि तै ज्वोड़ण व्लू एक कठिन दर्रा च यु। पर मैतै सबसे जादा खुसी व्हे छै राजजात म वेकी जीवटता देखी। दरसल हमतै वु राजजातम रस्ता मा मिलि छौ अर हम टैंट अप्ड़ी गिण्त्या से हिसाब से हि ळीगी छा। वे दग्ड़ि एक हौर छौ, अर वु द्वी बिना टैंटा छा, किलै कि अखबारुं मा खबर आणि छै कि बेदनी से ऐथर राण-खाणौ इन्तजाम सरकार कन्नी च​। हाँ गौं व्ळौं कि तरां एक पोळिथीन जरुर धरीं छै वुंकी। पर​ जब बेदनी से ऐथर सरकारा टैंट नि द्यिखेनी, त रोज बाँसै खप्च्युं का मत्थि, वीं पथळी पोळिथीन डाळी टैंट बण्दू छौ वुंकु। बड़ी हिकमत छै भै दुंयुं मा !

उनै दीपक भ्युंडारौ तै दनकी, त इनै बी सब्बि अप्ड़ा-अप्ड़ा कामूं मा मिसे गैनी। पैंका गौं बटि घर्या कखड़ी अर ळूण अयुं छौ, त तबार्युं कैन हुस्क्यु तै सळाद बि तय्यार कर दे। अर ठ्यीक बि छौ, किलै कि बादम त सैद ळूणै गारिम बि काम चळौण पौड़ सक्दू छौ​। अर हैंक्कान ळखड़ा कट्ठा करि आग बि सुळ्गै दे। ये जंग्गळ मा भळ्ळूं कु खतरा जादा च, इलै आग जगाईं हो त जान्वरुं की डौर थ्वडा कम व्हे जांदी, अर सेक्णौ सुख मिल्दु सु अळग​। रुमुक पोण्ण से पैलि दीपक वापस बि ऐगै छौ, अर खाणु बि तय्यार व्हे गै छौ, इलै सेण-खाणम हमुन बि देर नी ळगै।

सुबेर उठ त सब्बि ठ्यीक टैमम गै छा पर रोट्टि खैकि निक्ल्दु-निक्ल्दु आठ बज गै छै। नफीस​, प्रमोद अर थन्ना बाठा ळग​ गै छा त​ मि अर बंटी हौरुयुं तै समान रखदु द्यखणा छा, कि कखि कुछ समान छुट नी जौ। जन्नी हम ऐथरौ चल्यां, थन्ना वापस औन्दु दिखे,  त मिन पूछी "क्या छुटि रे?

"कुछ ना य्हार, बाठु त छैं हि नि च​ ऐथर​.​.."

"अरे चल न बणै ळ्योळा" इद्गा बोळि मि ऐथर बाठा ळग ग्यों। सची रे, उखम त सैरु पाखू हि रौड़्युं छौ!! पर नफीस अर प्रमोद बि कख चुप रौण व्ळा छा, डाँगूं का मत्थि एक फौंका तै पकड़ी, बाठु बणैकि,​ पार एक बड़ा डांगम पौंच्ण व्ळा छा। बाठु त वेका ऐथर बि कखि नि छौ, पर तौळ उतरि, नद्या छाळा-छाळा जये जै सक्दु छौ।

आधा घंटा से बि जादा टैम​ ळगै बक्युंन आणम। आराम से हि चन्न चाणा छा सैद आज बी सब्बि। फेर तौळ उतरि नद्या छाळा-छाळा लगभग द्वी-एक किलोमीटर चन्ना बाद, एक गदना मा चढी फेर मत्थी जंगळ मा पौन्च ग्यां। इख बटी अब दुबारा से बाठु मिल गै छौ, अर येका बाद​ उकाळ बि नि छै । फेर एक गदना पार करद्यि, वे गदना मत्थी द्येखी त बस्स ! देख्द्यु रै गयुं। एकदम खड़ा डांडा बटि पोण्णि छै दुधै सी धार। अब फोटु ख्यँचा बिना ऐथार कन मा जाण छौ। द्वी चार कदम हौर चळ्यां त अगळ​-बगळ कुछ नी दिख्यो, किलै कि अफु से बि द्वि-द्वि हत्त ऊँचा भँग्ळा डाळौं का ब्यीच​ छौ बाठु। फेर एक थ्वड़ा सि खुल्लि जगा ऐ, जखम जँगळातै लेन्टर दार एक भितरि सि बणी छै। दरोजा नि छा वेमा, पर रात कटण ळैक ठ्यीक छै। अर चर्री तरफाँ भँग्ळा डाळा, मेरी जाण क्वी बाबा हि धौळ गै रै हो भँग्ळा बीज​। इखम बि एक घंटा आराम करी तै हि ऐथर बड़्याँ। आज वु ब्याळि व्ळु पाळ्सी बि वापस जाणु छौ त, वेका द्वी भोट्या कुकुर बि अब हमारा दग्ड़्या बण गै छा, दग्ड़्या क्या हमारा गैड​। इखम बटि १ किलोमीटर बाद च नागतोळी, मेरु सुण्यु छौ कि ये इलाका मा साँप दिख्येंदन। इद्गा स्वच्दु-स्वच्दु ऐथर जाणु छौ, त एक कुकुर साँप दगड़ी ळौड़ गी, अर साँप वेतै काटि गैब बि व्हे गी। हमुन पैळी बार देखि कि जान्वर बि जड़ी बुटियुँ का जानकार होन्दन​। वु हमतै त नि बतै सक्दन, पर अप्ड़ू इलाज कर देंदन​। वु कुकुर थ्वड़ा-थ्वड़ा दूरम, एक्की जनी घासम जैकी, जखम साँपन काटी छौ वे हिस्सा तै रगण्णु छौ। हम स्वच्णा छा कि येन मोर जाण, पर दगड़ा मा यु बि बोन्ना छा कि सैद येतै वीं घासौ पता च, ज्यान येकु जैर खतम व्हे सक्दु हो। अर व्हे बि उन्नी च, वे दिन वु जबारि तक बि वेका बाद हम दग्ड़ी रै, एक्दम सुस्त सी पोड़ गै छौ। पर दुस्रा दिन वु जब हम तै मिळि, त उन्नी उछळ्दु-उछळ्दु, अर फेर हमारु गैड बणी ऐथर-ऐथर​।

इखम बटि लगभग त्यीन​-एक किलोमीटर, देवदारु का सुंदर बोणा ब्यीच छौ बाठु। बीच​-बीचम दग्ड़्यों तै हेरणा बाना बैठ जाणा छा, पर असल मा त वे बोणौ सुख ळ्हीयेणु छौ। ये जँगळ पार करद्यु, पौंच्याँ एक सुन्दर बुग्याळ मा। चर्री तरफाँ ३-४ फीट ऊँची अळग​-अळग रंगूं की फुळ्ळूं की डाळी, अहा!!!!! सर्ग मा पौंच गै छा।  फोटु ख्यंच्दा-ख्यंच्दा एक-डेड़ घंटा कन गै पता हि नी चली। वापस बाठा मा अयुँ, त थन्ना अर बंटी बि पौन्चि तै एक ढुंगी म बैठी सिग्रेट फुक्णा छा। बाठु ढुंडणु तै तौळ नद्यी तरफां गयुं, त पार बुग्याळा दुस्रा कुणा मा प्रमोद बैठ्युं दिखे। द्वी बजणी रै व्हेळि इबारि, पर जगा इद्गा सुंदर छै कि स्वोच येळी छौ रात इक्खी राण​। आदा घंटा बाद बिक्कू बि पौन्च गी, त पता चली कि यु सिमरतोळी बुग्याळ च, अर आज टैंट​ बि इक्खि ळगण​। अबि हमारि छवीं-बत्त हि ळ​गणि छै कि सर्ग घिरे गी, अर जद्गा देरम हमुन टैंट ळगैकि समान भीतर चुळै, बरखौ बि ळग​ गी।

राकेश रावत (बंटी), दुस्रा दिनै जात्रा
दुस्रा दिना बाठा बटि
दुस्रा दिना बाठा बटि
थानेश्वर बुडोळा (थन्ना), दुस्रा दिनै जात्रा 
दुस्रा दिना बाठा बटि
सिमरतोळी बुग्याळ​
सिमरतोळी बुग्याळ​

आदा घन्टा तक लगीं  रै बरखा, वेका बाद फेर दुबारा से घाम । आज​ फेर सब्बि अपड़ी-अपड़ी धाण्यु मा मिसे गैनि। क्वी ळ्खड़ा मेट्णु चल गि, क्वी स्टोब घुरकाण लग्गि, त क्वी कख्ड़ौ सलाद कट्ण ळग्गि। आज त रुम्क पोण्ण से पैळ्यी खुळ्गी समान​, अर आजौ बिसेस मैमान छौ कुन्दन सिंग​।

कुन्दन सिंग वुई पाळ्सी छौ जैन परसि हम्तै भ्युंडारम बतै छौ कि अब रस्ता खुळ गी। जोसीमठा नजीक थैंग गौं कु कुंदन, अबि पचास मा बि नि पौंची​ छौ। छव्टा म वेतै बि किताबियुंन उन्नी दिक्कत छै, जन हर कै छव्टा नौना तै होन्दि। या मेरी जाण थ्वड़ा बिंडी रै व्हेळि, तबि वेन पाँच पास बि नि कर सकी। ननाजी अर बोडा जी ढेबरा-बखरा चरांदा छा त वुँतै बि ऐथरौ सारु मिळ​ गी। सन इक्कासी म बारा सालै उमारम, पैळ्यी दाँ ऐ छौ वु युँ डाँडियुं मा। बस तबारि बटी छत्तीस साळ व्हे गैनी, अर साळा ५-६ मैना वेका बुग्याळूं मां हि कटेंदन। युँ ५-६ मैनौं मा यि द्येख अर बचै सक्दन, अप्ड़ा दग्ड़म चळ्यां पाळ्सी दगड़ी या फेर दग्ड़म चन्न व्ळा ढेबरा, बखरा, कुकुरुँ दगड़ी। छटि-छमैं हम जन बि क्वी मिळ जांदु, थ्वड़ा सी देरौ तै। 

झट​-झटाक वेन मैतै अपड़ू पंडाजी बणै दे। वेकु बोन्नु छौ कि, “हमारा पंडाजी बि बौगणा छन, अर पूरी उँक्यी उन्वार औणी तुम मा, इलै तुम मेरा पंडाजी छाँ”।

दग्ड़्यों कु बोन्नु छौ कि बिंडी दिनूं मा अंग्रेजी पै, त चढ गी वेतै। पर मि समज्णु छौ कि अंग्रेजी त बाना च, ३-४ मैना बटि अप्ड़ौं से दूर रान्दू-रान्दू इद्गा खुदे गै छै वु, कि वेतै बिराणा बि अप्ड़ा ळग्णा छा। रुम्क पोण्ण व्ळी छै, त भ्वोळ मिन्नौ करार करी वु अप्ड़ा डेरै तर्फां चळ गी। हम बि वेतै अर वेका कुकुरों तै तबारि तक​ द्यख्णा रयां, जबारि तक वु दिख्येणा रैनी। फेर थ्वड़ा सि देरम​ भात-दाळ पक गी, त सब्बि मिसे ग्याँ फुळ्टों तै निप्टाणम।

सिमरतोळी एक छव्टि सि नदी घाटि व्ळी, भौत हि बड़िया कैंप सैट​ च​। तौळै द्यख्णु छौं त​, बैं तरफां नद्यि कु चौड़ु सि फाट, अर​ दग्ड़म दूर तक द्यखेंदा पाड़। थ्वड़ा सि दैं तरफां द्यख्द्युं, त पाड़ दगड़ी ळग्यीं उंदारिम सुंदर​ फुळ्ळूं कि डाळी द्यिख्येणि छ्न​। अर एक्दम दैं हत्तै तरफां छ्न​ सिद्दा खड़ा डांडा, जौंका पैथर च हेमकुंड साब​। य्वी स्वोचि जळ्दी सिलीपिंग बैग मा घुस्ये  गयुं कि, रात येक​-द्वी बजी ज्युना उज्येळा मा दुबारा द्यख्ळू ये बुग्याळ तै​।

सिमरतोळी बुग्याळ​
सिमरतोळी बुग्याळ​, ज्युनळी रात मा
सिमरतोळी बुग्याळ​, ज्युनळी रात मा

रात सब्बि टैमम से गै छा त​, उठ बि टैम मा हि गैनी। मी सबसे बादम उठण व्लों मा छौ, किलै कि सबेर ढै बजि उठी तै अद्दा घंटा तक भैर घुम्णु रयुं, इळै उठणम थ्वड़ा सी अळ्गस बि आणु छौ। दुस्रा यु बि पता छौ कि सुबेर कद्गा बि जळ्दि उठा, चन्न सब्युन आठ​-नौ बजि मा हि च। जबारि तक मि धुये कि अयुं, कळ्यो तय्यार छौ, अर दग्ड़्या सुरु बि व्हे गै छा। रोट्टी तै हत्थम मारि राखु झण्येणु छौ, अर अळ्ळु की भुज्जी से जादा घ्यु कि डब्लि मा जोर छौ। पर जन्नी नफीस न रोट्या गफ्फा दगड़ी भुट्यीं मर्च बुखै, मै से बि नि रये।

आज बि निक्ळ्ण मा सड़े आट से जादा व्हे गै छै। सिमरतोळी बटि आदा किलोमीटर बाद हि खड़ी उकाळ सुरु व्हे जांदि, अर लगभग द्वी किलोमीटर बाद फेर सीदा बाठु ऐ जांदू। पर एक किलोमीटर बाद बाठु फिर से गैब, अर येका बाद त भस रौखड़ मा हि चन्न। दूर रौखड़ा छाळा मा पाळ्सियुं कु डेरु बि द्यिखेणु छौ, त आदा घंटम वुख पौन्चि सब्युं कु इन्तज़ार होण ळग्गी।

आज​ बंटी एक्दम थक्युं सी ळग्णु छौ, अर वेकु इखम बटि ऐथार​ जाणु ज्यु नि छौ। वेन मैंमा एक​ पिड़ै गोळ्यी माँगि, अर ब्वोळि कि “मि आज रात युँका डेरा मा रुकी, भोळ सुबेर ळ्हेकी तौळ उतर जौळु”। राजजातम बेदनी मा बि इन्हि ब्वोळि छौ वेन, पर जब​ हमुन ब्वोळि कि अरे चळ ना क्या च​, त वेका बाद वेन सैरा रस्ता कुछ नि ब्वोळि छौ। हाँ, सिळा समुदरम जरुर ब्वोळि वेन कि रात ळाता खोपड़ी मा नि रुकण वेन, अर सीदा सुतोळ जाण। त​ हम से एक दिन​ पैळी घौर पौन्च गै छौ वु।

हमुन ब्वोळि “चळ न य्हार, भ्होळ​ त ताळ मा पोंच जाण​”। 

पर वु चुप बैठ्युं रै। थ्वड़ा देरम​ कुंदन न मेरु पीट्ठु उठै अर ब्वोळि, कि चळा अप्ड़ा पंडा जी कु थौळु सारी मि बि थ्वड़ा पुन​ कमै ळ्योळु, त प्रमोद अर मि बि वेका पैथर चळ ग्यां। इखम बटि डांग खड़क ग्ळेसियर एक किलोमीटर छौ। हाथि परबत बटि आण ब्वोळु यु ग्ळेसियर क्या पुरु मोरेन छौ। पर कुंदन अप्ड़ा ढेबरौं ळ्हेकि, तीन​-चार दिन पैळि इखम बटि उत्रि छौ, त वेतै पता छौ कि कनै बटि जये जै सक्दू। पार मत्थि पौंच्युं, त तौळ नफीस​, थन्ना अर बंटी बि आँदु द्यिखेनी। सब्युं का आण तक मि कुंदनै कथा सुण्णु रयुं। टैम खारियुं छौ अर सब्बि अराम व्ळा हि छा, त एक घंटा इखम बि बैठ्यां रयां। इखम बटि उकाळ जादा नि छै अर अबि टैम बि छौ त करार व्हे कि रात राज खड़क मा राण से ठ्यीक राळु कि नद्यि पार करि नारायण खड़क मा टैंट लगाये जाऊ, त सुबेरौ टैम बि बच जाळु। पर वुख पौंच्ण से पैळि त बर्फा चस्सा पाणि व्ळी नद्यि पार कन्न छै। नद्यि गैरी त नि छै पर धार तेज छै, अर त्यीन फाट छा। पैळु त अराम से पार व्हेगी, पर बक्युं तै पार कन्नू तै रस्सा ळ्गाणै स्वोचि। हौर रस्सा ळग्णौ इन्त्जार कन्ना छा, पर मिन दीपका पैथर-पैथर पैळु फाट पार करि, दुस्रा तै पार कन्नू जन्नी खुट्टु पाणिम धौरि। तौळ ढुंगी चिफळी छै, त सीदा घसड़ाक​। बौगी त नि छौं पर कप्ड़ा सब्बि गिळ्ला व्हे गैनी। येका बाद पूरा आदा घंटा गिळ्ला कप्ड़ौं मा बैठ्युं राण प्वोड़ि । जब सब्युंन नद्यि पार करि अर टैंट ळगी तब जैकी सुक्यां कप्ड़ा पैर सक्युं।

सिमरतोळी अर डाँग खड़का बीचौ बाठु
सिमरतोळी अर डाँग खड़का बीचौ बाठु
डाँग खड़क
डाँग खड़क
डाँग खड़क
घ्वोड़ी परबत​
कुंदन सिंग

नारायण खड़क
नारायण खड़क ज्युनळी रातम
नारायण खड़क ज्युनळी रातम

घाम त ये छाळा पैळ्यी चळ गै छौ, पर रुम्क पोण्ण मा अबि टैम छौ। थ्वड़ा देरम कुंदन बि चळ गि, पर छव्टु कुकुर वेमा दीपक न माँगी, त वेन ब्वोलि ळिजै ळि। चार मैना से जादौ नी छौ वु, व्हे बि सैद इक्खि छौ।  वुनै कुंदन गै, त इनै बिक्कु अर दीपक ळखड़ा ळ्हेकी ऐ गैनी। हमुन पुछी इख डाळा त छैं नि छन, फेर यि सुख्याँ ळखड़ा कखै ळ्हयाँ। त पता चळी कि घौर जांदि दाँ पाळ्सी बच्याँ ळखड़ों तै उड्यारुँ मा ळुकै देंदन, पर यूँतै वुँकी घट्टी पता छन​। फेर त बढिया किम्प फैर व्हेगी, अर सैरा ळ्खड़ा फूकि तै हि गैनी सब्बि टैंटा भितर​। आज रात बि डेड बजि का करीब अयुं मि भैर​, ज्युनाळि रातुं कु मजा इक्खि आन्दु। रात मा गैणौं दगड़ि कैम्प सैट भौत अच्छि ळगदन​, अर ठंडु नि हो त सैरी रात युँ द्यख्दु-द्यख्दु बि कटै जै सक्दी।

आज सब्बि टैमम हि उठ गै छा, किलै कि आज यात्रा कु मीन दिन छौ। सब ठीक-ठाक राळू त आजै स्याम ताळ मा कटेळी । ताळ इखम बटि मुस्किळ से ५-६ किलोमीटर ह्वोळु, पर यी ५-६ किलोमीटर ईं जात्रा का सब्से कठिन छ्न​। यु कैम्प सैद ४००० मीटर मा रै ह्वोळु, अर इख बटि कुनकुळ खाळ तक खड़ी उकाळ च​। कुनकुळ खाळै ऊँचै ४६५० मीटर च​, अर बाठु इन्हि च, जन एक बिद्यार्थियु तै दसै गौळी होंदि। पास व्हेगि त ठ्यीक नीथर !!!! सब्बि टैमम धुयेकि, सुबेरौ घाम तप्दु-तप्दु, बादळुं तै उड़दु द्यख्णान। नफीसै आज दाड़ी बण्णी च​, त प्रमोदन ट्वोकि

"नफीस बाबु जरा ध्यान से, यहाँ क​ई बार बाळों के साथ​-साथ चहरे की खाळ भी निकळ आती है"।

नारायण खड़कम ढाड़ी बणाँदू नफीस​

पर नफीसै भौं! मेरि जाण खूब फोटु ख्यींचाणौ ज्यु छौ​ वेकु आज​। आज एक हौर खास काम व्हे, नास्ता मा रोट्टियुं का दगड़ि आटा गट्टू बण्यां छा। वुन ब्वोळि त रात आटौ हल्वा बि छौ, पर सुबेर अफु चुळ्ळा मा खड़ा रांदा त बण्दू। उन इन जात्रों मा खाणै मैतै इन क्वी जादा चा बि नी रांदि, किळै कि हर जगा परँठा अर मक्खन मिन्न से रा। इलै बस पेट भोन्नु तै कुछ चयेणु च​। पर इन बि नीच कि दग्ड़म चन्न व्ळा सब्बि इन्हि स्वोचुन, अर वुन बि युँ गट्टूँ पर भौत बडु दोस ळग्ण व्ळु छौ आज​।

इद्गा ऊँचै मा उन त खाणौ ज्यु नि बोळ्दु, पर जब सम्णै उकाळ दिखे त जु जद्गा बि कुचै सक्दु छौ वेन अप्ड़ि ळदोड़ी मा कुचै। अर नौ बजि तक एक-एक करी सब्बि बाठा ळग गैनी। उकाळ इनी छै कि एक किलोमीटर जाणम पूरू एक घंटा ळगी, किलै कि चन्न से जादा त थौ खयेणी छै। जब बाठु खतम व्हेगी त मत्थि एक धारम पौन्चि तै तौळै तर्फां द्येखी, बिक्कुन हत्तन दैं तरफ जाणौ इसारु करी। कुछ जादा मत्थि हि चौढ गै छा, त तौळ मच्छी ताळ तक उतरि वेका दैं तर्फां कि उकाळ चढी, अर एक धारम सब्युँ कु इन्तजार करी। सब्युँ तै पौंच्या आदा घंटा से जादा व्हे गै छौ पर ऐथर चन्नौ क्वी बि नौ नि ळेणु छौ। फेर​ इखम बटि अद्दा किळोमीटर बाद एक हौर बिसोणु। पर थ्वड़ा दूरम बड़ा-बड़ा डांगूं तै पार कन्न छौ, त सब अप्ड़ा हिसाब से चन्न ळग गैनी। वे डांगूं का समोदर पार कन्न मा पूरू एक घंटा से बि जादा ळग गै रै होळु, पर वेका बाद थौ बि १ घंटा तक खये होळि। बकि त सब ठ्यीक छौ, पर थन्नै चिड़िंग बथाणि छै कि वेमा हिवाँळै कि ऊँचै कु असर व्हे गै छौ। बंटी सब्से पैथर छौ, अर चुप​-चुप चन्नु छौ। आदा दिन निकळ​ गै छौ, पर कुनकुळ खाळ अबि बि नि छौ द्यिखेणु । येका बाद अद्दा किळोमीटरै खड़ी उकाळ चढी त पास दिखे, रै व्होळु डेड-एक किळोमीटर​। इखम बटि कुनकुळ खाळ चण्णु त या त ब्यीच ई ब्यीच, बड़ा-बड़ा डाँगूं बटि व्हेकि जै सक्दा छा या फेर दैं तर्फां की खड़ि उकाळ चड़ी तै।

मैतै डाँगूं मा चन्न से ठ्यीक पाखु चण्णु ळगी, त मि सीदा मत्थि चढ ग्यों। दीपक न बि मेरा दगड़ी व्यी बाठु पकड़ी। डांडू इद्गा खड़ु छौ कि मत्थि चढ्द्यु ळगि, इख चण्ण से बड़िया त डाँगूं का बाठा जाणु ठ्यीक छौ। तौळ द्द्येखी त आँखि रगर्याण​ ळग गैनी। दग्ड़या अब्बि बि तौळ, जखम बटि डांग सुरू व्होणा छा उख्मि छा। मिन वुँतै घै ळगै कि ब्वोळि कि, ईं रस्ता नि ऐनी रे इनै खत्रा जादा च। थ्वड़ा देर थौ खैकी मि फेर ऐथर बाठा ळग गयुं। ळगभग ढै बजि मी, दीपक अर हमारु भोट्या कुकुर कुनकुळ खाळ मा छा। दग्ड़यों देखि ळग्णु छौ कि १ घंटाम त सब्बि ऐ जाळा। थ्वड़ा देरम बरफ पोण्णि सुरू व्हेगी, अर १५-२० मिनट बाद फेर घाम बि ळग्गी। हम तै बैठ्यां-बैठ्यां एक घंटा से बि जादा व्हेगै छौ, पर दग्ड़यों कु अबि बि कुछ अता-पता नि छौ। तौळै तरफां देखि त वु अबि बि दूर छा। थ्वड़ा देरम नफीस पौन्छी त पता चळी कि बंटी कि तबेत खराब च, वेतै उळ्टी होणि छन। हिंवाँळै मा इद्गा ऊँचै मा इन व्हे जाँदू पर सरीळ जन-जन ऊँचै कु हभ्यस्त होणु राँदु यु अफि ठ्यीक बि व्हे जाँदू। यु सब द्वी दाँ मि अफु बि भुगत चुक्युँ। थ्वड़ा देरम प्रमोद ऐ, त वेन बतै कि बंटी अर थन्ना तै “ऐ एम एस” व्हेगी, बंटी तै त उल्टी होणि छन अर थन्ना तै बबड़ाट ळग गी। थ्वड़ा देरम थन्ना बि पौंच​ गी, वेतै द्येखी ळगी कि वु त ताळ तक उतुर्दु-उतुर्दु ठ्यीक व्हे जाळु, किलै कि वु अबि तकै सब्से ऊँची जगा (४६०० मीटर​) मा पौंच गै छौ। ताळै ऊँचै ४४०० मीटर च, त वु अराम से ताळ मा पौंची ठ्यीक व्हे सक्दु छौ। मिन ब्वोळि मि बंटी ळ्हेकी आंदू, जु वुखम बटि अबि बि १०० मीटर तौळ रै व्होळु।

तौळ​ जैकी द्येखी त वेका हाळ जादा खराब छा, वेतै ऊब्बू-ऊन्दू द्वी होणु छौ। उळ्टी से जादा वु परेसान छौ कि वेतै दस्त किलै होणा छा। मत्थि जाणै हिकमत वु कन्नू नी छौ, अर तौळ ५ किळोमीटर जाणौ त क्वी स्वाळ हि नी छौ। मैतै उम्मीद छै कि तौळ ताळ मा पौंची तै वेमा जरुर फरक पोड़ जाळु, पर वुख पौंछ्णु अबि मुस्किळ छौ। ठंडन कौंप्णु छौ वु, त मिन वेतै अप्ड़ी जैकेट दे अर सारु देकि हिकमत बंदै-बंदै की पास से २५-३० मीटर तौळ तक ळ्है गयुँ। पर आखिरी का ई २५-३० मीटर चढणै हिकमत नी छै वेमा। मत्थि पास मा अबि घाम छैं छौ। मिन वेतै ब्वोळि देख मत्थि पौंचि थ्वड़ा सि घाम सेकी तेरि तबेत ठ्यीक व्हे जाण, चळ थ्वड़ा सि हिकमत हौर कर​। चाणु त छौ वु बि, पर वेका बसौ नी छौ ळग्णु यु बच्युं रस्ता पुराणु। मिन ब्वोळि चळ म्यरा कंधा म औ, त बिक्कु न ब्वोळि, “अरे ना साब म्यरा कंधा म आ”। फिर बिक्कु न घुग्घु मा बैठै कि वेतै पास मा चढै दे। घाम अछलेणौ टैम व्होणु छौ त मिन प्रमोदो तै ब्वोळि कि तुम सब ळोग रुम्क पोण्ण से पैळी तौळ पौंची टैंट ळगा, मि अर बंटी पैथर-पैथर अंदां। ताळ इखम बटि कुळ १ किलोमीटर च​, पर तौळ उतरणू सौंगु नि च। बड़ा-बड़ा डांगूं बटि व्हेकि उतुन्न​ पोड़दू। घाम अछळेण मा जादा टैम नि छौ अब, अर हाळात बि द्वी समज्णा छा, त तौळौ तै उतुन्नु सुरु करि। एक घंटा से बि जादा ळगी उतरण मा, किळै कि ३-४ दां त भैर गै वु। जबारि तक तौळ पौंच्याँ, अँधेरु व्हे गै छौ, पर टैंट ळग्यां छा अर पाणि गरम छौ त भौत सारु मिळी।

नारायण खड़क अर कुनकुळ खाळा बीचौ बाठु
नारायण खड़क अर कुनकुळ खाळा बीचौ बाठु
नारायण खड़क अर कुनकुळ खाळा बीचौ बाठु

नारायण खड़क अर कुनकुळ खाळा बीचौ बाठु
मी कुनकुळ खाळम
कुनकुळ खाळ बटी ऐथारौ बाठु
बंटी कुनकुळ खाळम​
कुनकुळ खाळै ऊँचै (GPS)

कागभुसुन्डी ताळा पैळा दरसन

आजौ दिन भौत मुस्किळ से कटे, पैळी त कुनकुळ खाळ तक पौंच्णु हि एक माभारत​ छै। पर बादम कुनकुळ खाळ मा बैठ्यी खुस ह्वोणु छौ कि, चळा आजै उकाळ त कटे गि, अर आज टैमम पौंची, ताळा किंडारा बैठ्यी, चा पेंदू-पेंदू रुमुक पोड़द्यु द्यख्ळु। अर कख अब केबळ यु स्वछ्णु छौ कि बंटी तबेत ठ्यीक व्हे जौ, अर सब्बि ठ्यीक-ठाक घौर पौंच जावन भस​। बंटी कि तबेत अबि बि उन्नी छै,अर बटि अप्ड़ी तरफां टैंटै चेन तौळ​ ख्यींची, ब्यीच​-ब्यीच मा उळ्टी कन्नू छौ। उबारि मैतै याद आणु छौ, अजय भैज्यु सुंणायु किस्सा। करीब २४-२५ साल पैळी वु ३-४ दग्ड़या सास्त्रु ताळ गै छा, जख वुँका एक दग्ड़या तै उल्टी-दस्त सुरु व्हेनी, अर सड़की म ळ्हाण से पैळी हि वेन पराण छोड येळी छा। तबार्युं थन्ना न पुछी –

"आज रात बि जाण तिन भैर फोटु ख्यच्णु"?

“हैं! द्यख्ळु” मिन ब्वोळि।

पर मि त यु स्वचणु छौ कि वापस कन मा ळ्ही जाण बंटी तै। निन्द कन मा आण छै, आजै सैरी रात इन्हि कटे।

सुबेर भैर अयुं त दिखे, एक्दम साफ मौसम अर पाड़ियुं का ब्यीच एक सुन्दर ताळ, अद्भुत! सब कुछ ठ्यीक रांदू त, ब्याळि अर आज भौत मजा आण छौ इख​। तबार्युं दीपक न ब्वोळि-

"सर, नेटवर्क आ रहा है इस कोने पर​" इन ळ्गी जन देप्ता सैंदिस्ट खड़ा होवन​।

घ्वाड़ा इख पौंच नि सक्दा छा, अर पिट्ठु व्ळों तै बुळांदा त तेस्रा दिन पौंच सक्दा छा वु। तबार्युं थन्ना न ब्वोळि यार हैळीकोप्टर नि ऐ सक्दु इख​। गोविन्दघाट मा हैळी सर्विस मा काम कन्न व्ळा मैनेजर तै राणा जी जण्दा छा, वे दग्ड़ि बात करी त वेन ळम्बि काहनि सुणै​। हैळीकोप्टर इख तबि उतर सक्दु जब​ एस डी एम जोसीमठ अर डी एफ़ ओ नंदा देबी सैंचुरी लिखित मा द्येळा, निथर​ हैळीकोप्टर उनै जै बि नि सक्दू। अब सरकरी मसीन त अप्ड़ा हिसाब से चळ्दी, बकि वुमा त वुन बि भौत काम छन​। अब इन्मा सारु होंदन दग्ड़या, थन्ना न ब्वोळि बीरु (बीरेन्द्र बिष्ट) तै फोन करा। बीरु तै फोन करी हाळात बतैनी, अर वेका बाद सब कुछ वेमा हि छोड़ दे, किलै कि अब जू बि कन्न छौ वेन हि कन्न छौ। वेकी सरकारी मसीनरी मा पकड़ बि बड़िया च​। करीब एक घंटा बाद बीरु कु फोन ऐ, चिन्ता नि करा जोसीमठ​ बात व्हेगी, कुछ देरम हैळीकौप्टर पौन्च जाळु अर दग्ड़म एस डी आर एफ़ की टीम तय्यार च, क्वी बि दिक्क्त ह्वोळि त इ बि पैंकै बाठा ऐ जाळा। इद्गा सुण्णा बाद ळगी कि चळा अब बंटी कुछ देर हौर हिकमत करळू त बच हि जाळू।

बिक्कू कळ्यो बणाणम मिसे गि, त मि तौळ ताळम वीं परमसक्ति तै पुज्णु चळ गयुँ, जैंका परताप अबि तक सब ठ्यीक छौ, अर ऐथर बि ठ्यीक राणै उमेद व्हे गै छै। सब्युं न सळा दे कि ळ्योटा ळ्हिजा, डुबिकि नी मारि, ताळ गैरु च​। पाणि त चस्सू छौ पर अहा, वे पाणिम नहेणौ जु आनंद च वु कखि हौर नी। नहेणा बाद, किंडारा पुजण व्ळी जगा मा द्यु-बत्ती व्हे, परसाद बंटे अर इन्तजार होण ळग्गी हैळीकौप्टरो। आदा घंटा बाद एक फोन ऐ “अप्ड़ि सै स्थिति बता”, हमुन ब्वोळि “कागभुसुन्डी ताळ​, वेका किंडारा हि टैंट ळग्यां छन”​। त रैबार मिळी सब्तै तय्यार रखा, हैळीकौप्टर निक्ळ्णु च​, पंदरा मिंटम पौंच जाळू। हैळीकौप्टर उतुन्नै जगा पळ्या छाळा हि व्हे सक्दी छै त उनै पौन्च गयां। इद्गा मा हैळीकौप्टर बि दिखे त्यीन चक्कर मन्नी वेन​। किलै कि हैळीपैड त छैं नी छौ, छंद द्येखी तै उतारेण छौ। तीस्रु चक्कर मन्नू तै वु पैथर दुस्री घाटिम गै, त बंटी एक्दम से निरासे गि, "भाईसाब नही उतर पायेगा ये, वापस चळे जायेगा, अब तो यहीं मर जाऊँगा मैं"। पर फेर वु वापस ऐ, अर तौळ उतरि। पैळी बार बिना हैळीपैडा अर हिवाँळै मा इन जगा वेतै उतुन्नु द्यख्णु बि अळग हि आनंद छौ ​। सब्से जादा खुसी यै छै कि अब बंटी बच गै छौ। वे दिन पैळी बार पैलेट मा एक देप्ता दिख्ये, जु अब​ बंटी अर थन्ना तै फ़ुर्र उड़ै कि अस्पताळ ळ्हीगै छौ।

कागभुसुन्डी ताळ
कागभुसुन्डी ताळ
कागभुसुन्डी ताळ

कागभुसुन्डी ताळै ऊँचै (GPS)

पार पौंची अब हमुन बि चैनै सांस ळ्हे। उबारि हम सब्युं का हाळ उन्नी छा, जन बरातै बिदागि करी नौनी व्ळों का  होन्दन​। टैम भौत व्हे गै छौ, अर सम्णा फर्स्वाण बिनैक​ बि द्यिख्येणु छौ। वेतै चण्ण व्ळा रस्ता मा डांग त नि छा पर वु इद्गा खड़ु च कि, पैळी बार द्येखि क्वी ब्वोळ नि सक्दू कि रस्ता युई च, अर चढे बि जै सक्दू​। इखम​ बटी वेका जौड़ा तक​ पौंच्ण मा बि कम से कम द्वी-त्यीन घंटा ळग जाण छा। त सोव्चे गी कि इखम रुकण से ठ्यीक राळू कि वेका जौड़ा मा रये जावु। अर सुबेर जद्गा जल्दी व्हे सकु निक्ळी तै, स्याम तक पैंका पौंचे जावु।

फेर रोट्टी खैकी, आदा घंटा तक ताळा नजीक घुमी तै फोटु ख्यचनी, अर वेका बाद ऐथरौ बाठु पकड़ी। ताळा नजीक त ब्रह्मकमळ छैं हि छा, पर वेका बाद त चर्रि तरफां ब्रह्मकमळ हि ब्रह्मकमळ द्यिख्येणा छा। सुरु मा डेड-एक किलोमीटरै उकाळ, अर फेर उदगै ऊँदार​, अराम-अराम से चळी बि त्यीन बजि तक हम कैंप सैट मा पौंच गयां। "ळाळा उड्यार ब्वोळ्दन साब ईंऽ जगौ तै" बिक्कु न बतै। खुळ्ळी जगा छै, पैथर बढिया काँठि अर तौळ पूरी घट्टि द्यखेणी छै। अबि घाम अछळेण मा त भौत टैम छौ, पर​ घाम अछळेण से पैळ्यी रातौ खाणु बि बण्ण ळग्गी । अर​ घाम अछळेण तक खाणु खैकी, सेणै तय्यरि बि व्हे गी। युँ द्वि दिनूं मा सरीळ अर मन, दुयुँ बटि इद्गा थक्याँ छा कि पोड़्द्यी नींद बि ऐगी।

ताळ से ऐथारौ बाठु, ब्रह्म कमळै खेती
ताळ से ऐथारौ बाठु, ब्रह्म कमळै खेती



प्रमोद​, नफीस अर मी, ळाळा उडयार कैम्प सैट

सुबेर पाँच बजिम नींद खुळ्गी, अर जबारि तक धुये कि अयां, कळ्यो बि तय्यार छौ। रोट्टी अर मैगी कु साग​। आज सर्ग सुबेरी बटि घिरायुं च अर बरखा कब्बि बि ळग सक्दी, इलै अप्ड़ा-अप्ड़ा बांठौ कळ्यो सड़कैकि, सड़े छै बजि तक हम तिन्नी बाठा बि ळग ग्याँ। पर बिक्कु ळोगुँ तै त निक्ळ्ण मा, अबि कम से कम आदा घंटा हौर ळगण। कुछ उकाळि इन होंदन जु कब्बि नि भुळेंदन, उन्नी च फर्स्वाण बिनैकै उकाळ बि​। १०-१५ फ़ळांग चळि, कम से कम उद्गै देर रुकी तै गैरी-गैरी सांस ळेण पोड़्दन, निथार त छत्ती फट जौ। पर येमा सब्से बढिया यु छौ कि जखम बि रुक्णा छा, अगळ​-बगळ फुळ्ळुं तै द्येखी थक एकदम खतम व्हे जाणि छै। उन त फर्स्वाण विनैक​ सैरी उकाळ खड़ी च​, पर आख्र्या १०० मीटर त इग्दा खड़ा छ्न, कि साँस ळ्हेणु बि रुका, त इन ळग्दु जन अब्बि ळमड जौळा।अर तौळ द्येखी त आन्खि चकराँदिन, इळै भळै यामा हि च कि चढणा रा, निथार​ घिळमुंडी ख्यैकी तौळ पाड़ा जौड़ा मा पौंच ज्यैळा।

हमुन स्वोचि छौ कि द्वि-ढै घंटा ळग्ळा ये चण्ण मा, पर सड़े आट बजि तक सब्बि पौंच गै छा। इखम बटि कुनकुळ खाळ त द्यिख्येणु च​, पर ताळौ पता नि चन्नु। कागभुसुंडि ताळ जब वेका नजीक पौंच जा तबि द्यिख्येन्दुं, दुर बटि वेकु कुछ पता नि चळ्दू। धारम आदा घंटा थौ खाणा बाद चन्नै तय्यरि व्हेगी, पर चन्न से पैळी तक मि य्वी स्वचणु रयुँ कि  रस्ता कखम बटि होळु। किळै कि पैथर त एक्दम भेळ छौ, अर वेका तौळ एक हौर डांगूं कु समोदर। दैं तरफाँ एक उड्यार सि छौ, बिक्कु न बि आँखियुंन वुनै क्वी तै सनकै। चट्टाना ब्यीच बण्यीं वीं छ्वटि सि गौळी बटि छौ तौळ जाणौ बाठु। पर तौळा हाळ ठ्यीक नी छा, कम से कम द्वी-ढै किलोमीटरै खड़ी उँदारौ रस्ता, अर वु बु डांगुं ब्यीच​। अर वेका बादा द्वी-ढै किलोमीटर बड़ी-बड़ी झाड़ियुँ का ब्यीच बटि व्हेकि पौंचे बरम​ई खड़क​। पूरा त्यीन घंटा ळग गै छा इख तक पौंचण मा। पर या जगा इद्गा सुंदर छै कि क्या बोन्न​। थौळा एक तरफाँ चुळै की वीं मुळैम घासम पोड़ ग्याँ। अहा ब्याळि रात ऐ जाँदा इख, त गदगदा मा सियाँ रान्दा। अर एक वा ब्याळि व्ळी सैट छै, सैरी रात ढुँगी बिन्याणी रैनी। पर यु छौ कि अगर ब्याळि इख आणै कोसिस करदा, त रुमुक त मत्थीम प्वोड़ जाण छै, अर वेका बाद कदगै जगा ळमडी, घिळमुंडी खांद​-खांद​, घुंडा फुटै की पौंच्ण छौ हमुन इख​। 

प्रमोद, फरस्वाण बिनैकै ऊकाळि मा

फरस्वाण बिनैका पैथारौ बाठु

इखम बैठ्याँ-बैठ्याँ एक घंटा व्हेगि पर क्वी बि जाणै छुवीं नि कन्नू छौ, तबार्युं बरखा छिटाण ळग्गी, त छत्रा खोळी बाठा ळग ग्याँ। बिक्कु न ब्वोळि “साब आज रात सळधारम रौळा, अर सुबेर-सुबेर तौळौ तै निकळ जौळा”। इखम बटी पँच बिनैक पाँच​-एक किलोमीटर च​, अर रस्ता बि ळदाँ-ळदाँ च​, पर फेर बि पौंच्ण मा द्वी घंटा ळग गैनी।  किलै कि एक त ब्यीचम बरखौ झमणाट ळगी, दुस्रा द्वी-त्यीन जगा चट्टानूं मा उतन्न प्वोड़ि। एक जगा मा त इन बाठु छौ कि कुकुरा न बि मुँड फरकै दे, त दीपक न वेतै कंधा मा चढै कि उतारि। पँच बिनैक बटि कदगै हिंवाळि काँठि द्यिखेंदन, पर आज त बाद्ळुंन सेरु हिमाळय ढक्युं छौ। हाँ दुस्री तरफां एक सुंदर ग्ळेसियर द्यिखेणु छौ, अर समणा गोरसों बुग्याळ बि। पँच बिनैक मा जादा देर नी रयां, किळै कि  वेका बादै उँदार्यु बाठु द्येखी इन ळग्णु छौ, कि या उँदार उतन्न कन मा च, अर कबारि तक​। पैंका इखम बटि १० किळोमीटर च, अर घुंडी टुट जाण छै वुख​ तक पौंच्दु-पौंच्दु, इळै आजौ टैंट सळधार मा हि ळगाणु ठ्यीक छौ । पाँच बजि तक सळधार पौंची टैंट ळगैनी, अर वेका बाद यात्रै खट्टी-मिट्ठी छुवीं-बत्त​। 

बरमई खड़क अर पंच बिनैका बीचौ बाठु
बरमई खड़क अर पंच बिनैका बीचौ बाठु
बरमई खड़क अर पंच बिनैका बीचौ बाठु
बरमई खड़क अर पंच बिनैका बीचौ बाठु
पंच बिनैक

पंच बिनैक बटि ऐथारौ बाठु
पंच बिनैक बटि ऐथारौ बाठु
पंच बिनैक से ऐथारा बाठा बटि द्यिखेंदु गोरसों बुग्याळ
सळधार कैम्प सैट

उन अबि त भोळ आट-एक किळोमीटर हौर चन्न छौ, पर तौळ जोसीमठ​ द्येखी ळगणु छौ, कि बस पौंच ग्याँ अब त​। आखिर २० साळ पैळी जैं जात्रा तै कन्नै स्वोचि छै वा अब पूरी होण व्ळी छै। कागभुसुंडि ताळै जात्रा सौंगि त नी च​, पर इख जैकी देवीय सक्ति कु जु ऐसास होन्दु, अर दग्ड़म प्रकृति का जना दरसन होंदन, वुन हर कै जात्रा मा नि व्हे पाँदन। इळै बिकट हौणा बाद बि ईं जात्रा तै दुबारा कन्नौ ज्यु बोन्नू च​।

फुळ्ळुं कु बगेचा बि च यु सैरु बाठु



























 

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